दिल्ली के रिहायशी इलाकों में रविवार की सर्द शाम में घरों के बाहर अलाव जलाकर उत्साहित लोग एकत्र हुए और ढोलों की थाप पर लोकगीत गाकर व नाचकर फसल कटाई का त्योहार लोहड़ी मनाई.
यह त्योहार रबी फसल की कटाई के उपलक्ष्य में यों तो गांवों में मनाया जाता है, लेकिन महानगर में बसे लोग अपनी परंपरा को जीवित रखे हुए हैं. त्योहार की उमंग में सराबोर लोगों ने उपहारों का आदान-प्रदान किया और दहकते अलाव के चारों ओर घूम-घूम कर ढोलों की थाप पर देर शाम तक नाचते-गाते रहे.
इस अवसर पर लोग अग्नि को तिल, गुड़, मूंगफली तथा मक्के की खील अर्पित करते हैं और बांटते भी हैं. अलाव जब तक जलता रहता है, लोग उसे घरे रहते हैं. इस त्योहार का खासकर नवविवाहिताओं और नवजात बच्चों के लिए विशेष महत्व होता है.
उल्लेखनीय है कि लोहड़ी के अगले दिन गुजरात में उत्तरायण, असम में माघ बिहू और दक्षिण भारत में पोंगल तथा मध्य, पूर्व व उत्तर भारत में मकर संक्रांति मनाई जाती है.