20 रुपये में मटन करी, 29 रुपये में चिकन करी, 4 रुपये के चावल, 4 रुपये के बॉयल्ड एग, 6 रुपये का मसाला डोसा, 2 रुपये का वड़ा, 2 रुपये की पूड़ी सब्जी, 33 रुपये की नॉन-वेज थाली, 61 रुपये का थ्री कोर्स लंच, 3/4/6 रुपये के वेज/एग/चिकन सैंडविच, 17 रुपये का बर्गर, 20 रुपये का पिज्जा, 1 रुपये की रूमाली रोटी / चपाती / पापड़ और न जाने क्या क्या. मीनू में हैं कुल 95 लजीज आइटम. आया न मुंह में पानी? और रेट देखकर तो आपने सोचा होगा कि पूरे मोहल्ले को पार्टी दे देंगे. लेकिन हुजूर इस मीनू का फायदा आप नहीं उठा सकते. यह किसी सामाजिक कल्याण वाले रेस्टोरेंट का नहीं बल्कि दिल्ली की संसद की 4 कैंटीन का मीनू है, जहां विधायक और कानून निर्माता लगातार जोर दे रहे हैं कि खान-पान, ईंधन, उर्वरक और कुछ और चीजों पर से सब्सिडी घटाई जाए.
आरटीआई के अनुसार सिर्फ साल 2013-2014 में इन कैंटीनों ने 14 करोड़ रुपये की सब्सिडी खायी है. 'वेजिटेबल स्टू' बनाने में 41.25 रुपये की तो सिर्फ सब्जियां ही लग जाती हैं. बाकी मसालों, पकाने का ईंधन और बनाने की कॉस्ट अलग. लेकिन पार्लियामेंट कैंटीनों में यह सब मिलता है महज 4 रुपये का. दालों के रेट आसमान छू रहे हैं, लेकिन नेता लोग ठाठ से कैंटीन में बैठकर मात्र 2 रुपय में मनचाही दाल खाते हैं. एक ग्लास जूस बनाने में 45.10 रुपये के तो फल ही लग जाते हैं, ऊपर से बनाने ली लागत अलग. लेकिन वही एक ग्लास जूस पार्लियामेंट कैंटीन में मिलता है सिर्फ 14 रुपये का.
आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चन्द्र अग्रवाल ने आरोप लगाया है कि स्वतंत्रता के बाद से अभी तक सिर्फ 3 बार ही इन चारों कैंटीनों के फूड प्राइस रिवाइज हुए हैं. पहली बार 24 दिसंबर 2002 को, दूसरी बार 4 अप्रैल 2003 को और आखिरी 14 दिसंबर 2010 को.