scorecardresearch
 

RSS ने फोर्ड फाउंडेशन, ग्रीनपीस के बचाव करने को लेकर अमेरिका पर साधा निशाना

दो अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के खिलाफ कारवाई करने को लेकर भारत पर अमेरिका द्वारा निशाना साधे जाने के कुछ दिनों बाद आरएसएस ने सोमवार को तीखी प्रतिक्रिया दी.

Advertisement
X
ग्रीनपीस
ग्रीनपीस

दो अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के खिलाफ कारवाई करने को लेकर भारत पर अमेरिका द्वारा निशाना साधे जाने के कुछ दिनों बाद आरएसएस ने सोमवार को तीखी प्रतिक्रिया दी. ग्रीनपीस और फोर्ड फाउंडेशन जैसे एनजीओ पर भारतीय कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए आरएसएस ने अमेरिका द्वारा दोनों संगठनों का बचाव करने पर सवाल खड़ा किया.

Advertisement

आरएसएस ने कहा कि उसे भारत की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए. इसके साथ ही आरएसएस ने सवाल किया कि क्या वह लोकतंत्र का वैश्विक ठेकेदार है? आरएसएस के मुखपत्र ‘आर्गेनाइजर’ में प्रकाशित 'दि अन-सिविल इंटरवेंशन' शीषर्क वाले संपादकीय में यह सवाल भी किया गया है कि क्या अमेरिका ऐसे तथाकथित गैर लाभकारी एवं गैर राजनीतिक एनजीओ को अपने देश में ऐसे उल्लंघन की इजाजत देगा?

आरएसएस ने कहा कि भारत से स्पष्टीकरण की मांग करके एवं ग्रीनपीस और फोर्ड फाउंडेशन जैसे एनजीओ के बचाव में उतरकर लोकतांत्रिक अधिकारों के वैश्विक ठेकेदार ने उन आशंकाओं की पुष्टि कर दी है कि ऐसे एनजीओ अमेरिकी एजेंसियों के तौर पर कार्य करते हैं जैसा अमेरिका में कुछ शोध कार्यों में आरोप लगाया गया है.

संपादकीय में कहा गया है, 'यदि अमेरिका या उस कार्य के लिए कोई देश अधिकार आधारित मुद्दे उठाने के लिए विदेशी फंड के मुद्दे पर साफ होकर सामने आना चाहता है तो उसे अपने देश की संप्रभुता और सांस्कृतिक लोकाचार का सम्मान करना होगा.' उसने कहा, 'नहीं तो, एनजीओ-वाद को हमेशा ही सिविल सोसाइटी के नाम पर विदेश नीति हस्तक्षेप के एक अन्य अशिष्ट साधन का रूप माना जाएगा.'

Advertisement

आरएसएस ने कहा कि इन एनजीओ का कामकाज उनकी गैर लाभकारी और गैर राजनीतिक प्रकृति को लेकर संदेह उत्पन्न करता है तथा एनजीओ पेशे में ऐसी संस्थाओं के खिलाफ उनके फंड को लेकर भारत की कार्रवाई ने अमेरिका को परेशानी में डाल दिया है. संगठन ने कहा, 'अमेरिका का बिना सोचे समझे अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के बचाव में उतरना और सबसे बड़े लोकतंत्र से स्पष्टीकरण की मांग करना उनके अमेरिकी एजेंसी होने की उन आशंकाओं की पुष्टि करता है, जिसका आरोप अमेरिका में कुछ शोध कार्यों में लगाया गया है.'

आरएसएस के मुखपत्र ने कहा कि लोकतांत्रिक कारणों के चलते अमेरिकी विदेश मंत्रालय और भारत में अमेरिकी राजदूत ने एनजीओ केंद्रित ‘नियामक कदम’ को लेकर आवाजें उठाईं. संगठन ने कहा, 'हालांकि, ऐसा करते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों के वैश्विक प्रवर्तक को कुछ सवालों पर विचार करना चाहिए. क्या लोकतांत्रिक अधिकारों का वैश्विक संरक्षक के रूप में अमेरिका ऐसे उल्लंघन अपने धरती पर होने देगा?'

संपादकीय में कहा गया कि आठ हजार से अधिक एनजीओ तीन वर्ष तक रिटर्न नहीं दाखिल करने को लेकर विदेशी अंशदान (नियामक) कानून (एफसीआरए) लाइसेंस रद्द होने की कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं और एनजीओ पेशे में लगे फोर्ड फाउंडेशन और ग्रीनपीस जैसे अग्रणी संगठनों पर उनके फंड को लेकर सवाल उठाए गए हैं.

Advertisement
Advertisement