भारत सरकार टेलिकॉम स्पेक्ट्रम की नीलामी करने जा रही है. कमाई के मामले में यह अब तक की सबसे बड़ी नीलामी होगी. सरकार को 80,000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है. ग्राहकों को उम्मीद सेवाओं के बेहतर होने को लेकर है, लेकिन उससे पहले ये चिंता भी है कि कहीं इस नीलामी के बाद मोबाइल सेवाएं महंगी न हो जाएं.
1. सरकार सिर्फ 380.75 MHz का 2जी स्पैक्ट्रम और 2100 MHz यानी 3जी स्पेक्ट्रम ही नीलाम करने जा रही है. देश के 22 में से 17 सर्कलों में. अभी यह एयरटेल, वोडाफोन, आईडिया सेल्यूलर और रिलायंस टेलिकॉम के पास है. इनके लायसेंस 2015-16 में खत्म हो रहे हैं.
2. इस साल 18 सर्कलों में 29 लाइसेंस की मियाद खत्म हो रही है. ऐसे में यहां ऑपरेट करने वाली कंपनियों को फिर से नीलामी में भाग लेना होगा ताकि वे अपना बिजनेस जारी रख सकें. मोबाइल कंपनियां हालांकि कह रही थीं कि उनसे लाइसेंस रीन्यू करने की फीस ले ली जाए. नीलामी न की जाए.
3. 94 करोड़ मोबाइल यूजरबेस वाले हमारे देश को सबसे ज्यादा उम्मीद अच्छी टेलिकॉम सेवाओं को लेकर है. कॉल ड्रॉप की समस्या, टैरिफ, इंटरनेट स्पीड चिंता का कारण हैं. लगभग सभी कंपनियों से एक जैसी शिकायतें हैं.
4. शहर, खासकर मेट्रो में और दूरदराज के गांवों में मोबाइल सुविधाओं का हाल लगभग एक जैसा है. शहरों में जहां प्रति मोबाइल टावर मोबाइल यूजर्स की संख्या जरूरत से ज्यादा होने से ऐसा हो रहा है, वहीं गांवों में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण.
5. टेलिकॉम सेवाओं की शुरुआत में प्राथमिकता वाइस कॉल और एसएमएस की थी. लेकिन इंटरनेट के आने से फोन का इस्तेमाल बहुत व्यापक हो गया है. एसएमएस की जगह कई मैसेजिंग एप्स ने ले ली. काम ऑफिस का हो या निजी, मोबाइल पर इंटरनेट ने दुनिया ही बदल दी है. लेकिन भारत में महंगे डेटा प्लान और धीमी इंटरनेट स्पीड के कारण स्मार्टफोन यूजरबेस में धमाकेदार बढ़ोतरी दिखाई नहीं दी है. खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में.
सात मोबाइल सर्कल में काम कर रही वोडाफोन ने स्पेक्ट्रम नीलामी में भाग लेने के लिए 3700 करोड़ रुपए एडवांस जमा कर दिए हैं. अब बोली तो इससे ज्यादा की ही होगी. सिर्फ वोडाफोन ही क्यों, आइडिया 9 सर्कल में, एयरटेल 6 सर्कल में और रिलायंस 7 सर्कल में अपना बिजनेस जारी रखने के लिए ऐसा करेगा. और यही ग्राहकों की चिंता का कारण है. मोबाइल कंपनियां नीलामी में इतना पैसा खर्च करेंगी तो वसूली तो ग्राहकों से ही होगी.