सहारा ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि उसकी दो कंपनियों ने निवेशकों से जो 24 हजार करोड़ रुपये लिए थे, उसे लौटाना ग्रुप के मुखिया सुब्रत राय की जिम्मेदारी नहीं है. सहारा ग्रुप ने उनके और दो कंपनियों के खिलाफ अवमानना मामले का निबटारा होने तक सुब्रत राय का पासपोर्ट जब्त करने के बारे में सेबी की दलीलों के जवाब में यह दावा किया.
जस्टिस के. एस. राधाकृष्णन और जस्टिस जे.एस. खेहड़ की बेंच के सामने वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने कहा कि सहारा की कंपनियां पहले ही रकम लौटा चुकी हैं. शीर्ष अदालत के आदेश के मुताबिक निवेशकों को धन न लौटाने के मामले में अवमानना कार्यवाही का सामना कर रही सहारा की एक कंपनी ने जेठमलानी को अपना वकील कर रखा है.
जेठमलानी की इस दलील पर बेंच ने कहा कि यह तो कंपनी की ओर से पहले दायर किए गये हलफनामे में अपनाये गए नजरिए से उल्टा है. बेंच ने कहा, 'यह सही नहीं है. आपका हलफनामा तो कुछ और कहता है. आपका हलफनामा हमारी ओर देख रहा है.' जेठमलानी ने कोर्ट से कहा कि हमारी ओर सहानुभूति से देखिए. उन्होंने कहा कि मौजूदा तथ्यों और हालात के हिसाब से अवमानना कार्यवाही कहीं नहीं टिकती है और दोबारा भुगतान करने की जिम्मेदारी सुब्रत राय की नहीं है.
उन्होंने कहा, 'मैं इस बात से इंकार नहीं करता कि वह सहारा ग्रुप के पितामह हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी जिम्मेदारी है.' लेकिन बाजार नियामक सेबी की ओर से दलील दी गई कि सहारा इंडिया रियल इस्टेट कॉर्प लि और सहारा इंडिया हाउसिंग इंवेस्टमेन्ट कॉर्प लि की ओर से जमा की गई राशि सहारा ग्रुप की दूसरी कंपनियों में गई है और ऐसे में सुब्रत राय की समान रूप से जिम्मेदारी बनती है.