भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में पूरे साल अवैध रूप से 10 हजार से ज्यादा बच्चे लाए जाते हैं. एक एनजीओ द्वारा कराए गए सर्वे में यह बात पता चली कि यह सारे बच्चे बांग्लादेश, नेपाल और अन्य दक्षिण पूर्व एशिया के देशों से लाए जाते हैं.
सर्वे में यह बात सामने आई कि तस्करी से लाए गए इन बच्चों को मेघालय के कोयला खदानों, असम के चाय बगानों और देह व्यापार में लगाया जाता है.
इमपल्स नाम के एक गैर सरकारी संगठन की टीम लीडर हसीना ने बताया कि यह पूरा क्षेत्र मानव तस्करी को आदान प्रदान करने के साथ अड्डा भी बनता जा रहा है. सस्ती मजदूरी के लिए नेपाल और बांग्लादेश से लाए गए कई बच्चों को हमने असम और मेघालय से छुड़ाया है.
पूर्वोत्तर राज्यों में पड़ोसी देशों से ढेरों बच्चे यहां लाए जाते हैं. हसीना ने कहा कि कुछ अंतरराष्ट्रीय मानव तस्कर समूह इस इलाके में ऐसे कामों को अंजाम दे रहा है. इमपल्स ने असम से एक नाबालिग नेपाली लड़की के साथ तीन अन्य को छुड़वा कर 17 सितंबर को नेपाल भेज दिया.
बांग्लादेश से लाए गए दो अन्य लड़कों को मेघालय के जैनतिया पहाड़ी के कोयला खदान से छुड़ाया गया है, जिन्हें जल्दी ही बांग्लादेश भेज दिया जाएगा.