मोदी सरकार 2.0 के सौ दिन में भ्रष्टाचार के मामलों में भी कार्रवाई तेज हुई. भ्रष्टाचार में घिरे अफसरों को जहां जबरन रिटायरमेंट दिया गया तो नेताओं की भी गिरफ्तारियां हुईं. मोदी सरकार 2.0 के शुरुआती सौ दिनों में सबसे बड़ी कार्रवाई मनमोहन सरकार में गृह और वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम के खिलाफ हुई. आईएनएक्स मीडिया केस में जहां उन्हें तिहाड़ जेल में जाना पड़ा है. वहीं कर्नाटक के कद्दावर कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया.
उधर, राज्यसभा में संख्या बल से कमजोर होने पर जब कुछ विधेयकों को पास कराने की राह में बीजेपी को रोड़ा समझ में आया तो फिर सेंधमारी शुरू हुई. बीजेपी दूसरे दलों के कई राज्यसभा सांसदों को अपने पाले में लाने में सफल रही. जो राज्यसभा सांसद न तो बीजेपी में शामिल हुए और न ही इस्तीफा दिए तो उनसे भी बातचीत कर अहम बिलों पर गुपचुप समर्थन हासिल किया.
यही वजह रही कि आरटीआई और तीन तलाक बिल पर वोटिंग के दौरान अल्पमत में होने के बावजूद सरकार के पक्ष में ज्यादा सांसद खड़े नजर आए. विपक्ष के विरोध के बावजूद मोदी सरकार आरटीआई, तीन तलाक, UAPA सहित मनमुताबिक बिल पास कराने में सफल रही. राज्यसभा में अब बीजेपी के 78 सांसद हो चुके हैं.
टीडीपी के 4 राज्यसभा सांसदो को तोड़ा
राज्यसभा में संख्या बल बढ़ाने के लिए बीजेपी आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी के कुल छह में से चार सांसदों को तोड़ने में सफल रही. दो तिहाई सांसदों के पाला बदलने से उन पर दल बदल कानून के तहत सदस्यता रद्द होने का खतरा भी नहीं रहा. इससे ये चार सांसद अब बीजेपी के राज्यसभा सदस्य बन गए हैं.
बीजेपी में शामिल होने वालों मेंं टीडीपी के राज्यसभा सांसद सीएम रमेश, टीजी वेंटकेश, जी मोहन राव और वाईएस चौधरी शामिल हैं. बाद में तेलुगू देशम पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता लंका दिनाकर भी बीजेपी में शामिल हो गए.
इससे पूर्व तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक अंबिका कृष्णा, कांग्रेस के पूर्व नेता और सांसद एपी अब्दुल्लाकुट्टी भी भाजपाई बने थे. भारतीय राष्ट्रीय लोक दल के राज्यसभा सांसद रामकुमार कश्यप को भी बीजेपी अपने पाले में करने में सफल रही.
यूपी के कई नेता भी साथ आए
मोदी सरकार 2.0 में बीजेपी उत्तर प्रदेश के विरोधी दलों के राज्यसभा सांसदों को भी अपने पाले में करने में सफल रही. समाजवादी पार्टी के तीन राज्यसभा सांसदों को बीजेपी ने तोड़ लिया. इनमें पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर, सुरेंद्र नागर और संजय सेठ ने सपा छोड़कर बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की. उनके राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद खाली हुई सीटों पर बीजेपी ने अब इन्हीं नेताओं को उम्मीदवार बनाया है. इस प्रकार यूपी की रा ज्यसभा सीटों के चुनाव के बाद बीजेपी राज्यसभा में और मजबूत होगी.
कांग्रेस में गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले कांग्रेस नेता और अमेठी राजघराने के संजय सिंह भी पत्नी अमीता सिंह के साथ बीजेपी में शामिल हुए. संजय सिंह जहां कांग्रेस के राज्यसभा सांसद रहे, वहीं उनकी पत्नी यूपी सरकार में मंत्री रह चुकी हैं. गांधी परिवार के वफादारों में गिने जाने वाले संजय सिंह काफी समय से पार्टी से नाराज चल रहे थे. आखिरकार बीजेपी ने उनकी नाराजगी को भुनाते हुए अपने पाले में कर लिया.