केंद्र की नई सरकार 3 सितंबर को अपना सौ दिन पूरा करेगी. इन सौ दिनों के कामकाज का हासिल यही है कि शासन की नई शैली और विदेश नीति से संबंधित कई फैसलों से इसपर पकड़ और विशेषज्ञता प्रदर्शित कर सभी को हैरत में डालते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी लोकप्रियता के शिखर पर बने हुए हैं.
कई लोगों का मानना है कि मोदी के भीतर विदेश नीति की विशेषज्ञता अंतर्निहित है. धुर आलोचकों से इतर मोदी के बारे में यह आम नजरिया है कि हाल के दशकों में देश जिस कमी का सामना करता है उसके विपरीत वे एक मजबूत, दृढ़ और अत्यंत सक्रिय प्रधानमंत्री साबित हो रहे हैं. उनके बारे में उनकी पार्टी बीजेपी निश्चित रूप से ऐसा ही मानती है. 17 सितंबर को मोदी 64 साल के हो जाएंगे.
बीजेपी प्रवक्ता और मोदी के साथ बराबर बातचीत करते रहने वाले जी. वी. एल. नरसिम्हा राव ने कहा, 'मोदी ने ठोस फैसले लिए हैं और जो निर्देश दिए हैं उसका असर आने वाले महीनों और वर्षों में नजर आएगा.' कांग्रेस के एक दशक के शासन से तुलना करते हुए राव ने कहा, 'पिछले तीन महीनों के दौरान सरकार ने जिस तरह से काम किया है उससे बड़ा बदलाव नजर आता है. मोदी ने नौकरशाही को सबल बनाया है और राजनीतिक नेतृत्व को स्पष्ट निर्देश दिया है.'
गुजरात पर 13 वर्षों तक शासन करने के बाद मोदी ने मई महीने में इतिहास रचते हुए देश की कमान संभाली. लोकसभा चुनाव में उनकी करिश्माई छवि के कारण बीजेपी तीन दशकों में पूर्ण बहुमत पाने वाली पहली पार्टी बनी और कांग्रेस को अब तक की सबसे शर्मनाक पराजय का सामना करना पड़ा.
बहुमत पाने के बावजूद मोदी ने 26 मई को शपथ लेने के बाद गठबंधन सरकार का गठन किया. उनके कई फैसले सहज ही नजर आते हैं. सीआईआई के अध्यक्ष अजय श्रीराम ने कहा, 'नई सरकार के विकास और सुधारों के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के कारण निवेशकों का भरोसा बहाल हो गया है. मंत्रियों और अधिकारियों के साथ हमारी बातचीत में हमने उद्योगों के नजरिए पर विचार करने और लीक से हटकर समाधान करने की गहरी इच्छा पाई.'