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उत्तराखंड त्रासदी : '10000 मौतों का आंकड़ा महज अनुमान'

उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री सुरिंदर सिंह नेगी ने रविवार को विधानसभा अध्यक्ष के दावे को खारिज नहीं किया और कहा कि 10,000 मौतों का आंकड़ा एक अनुमान है, क्योंकि केदारनाथ घाटी में अभी भी तमाम शव मलबों के नीचे दबे हुए हैं.

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उत्तराखंड त्रासदी
उत्तराखंड त्रासदी

उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री सुरिंदर सिंह नेगी ने रविवार को विधानसभा अध्यक्ष के दावे को खारिज नहीं किया और कहा कि 10,000 मौतों का आंकड़ा एक अनुमान है, क्योंकि केदारनाथ घाटी में अभी भी तमाम शव मलबों के नीचे दबे हुए हैं.

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उल्लेखनीय है कि विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने शनिवार को कहा था कि आपदा में मरने वालों की संख्या 10,000 से अधिक हो सकती है.

नेगी ने कहा कि यह अनुमान, वहां से निकाले गए लोगों द्वारा बचाव दलों और सरकारी अधिकारियों को दी गई जानकारी पर आधारित है.

नेगी ने कहा, 'उन्होंने (विधानसभा अध्यक्ष) एक अनुमानित आंकड़ा बताया था. फिलहाल यह एक अनुमान है. यह कम भी हो सकता है और अधिक भी हो सकता है. जिस आपदा ने राज्य को पूरी तरह तबाह कर दिया हो, उसमें मारे गए लोगों की सही संख्या बता पाना फिलहाल बहुत जल्दबाजी होगी. कुंजवाल ने शनिवार को अपने इस दावे से हलचल पैदा कर दी थी कि मौतों का आंकड़ा 10,000 से अधिक हो सकता है.

कुंजवाल ने कहा था कि राज्य के बाढ़ प्रभावित इलाके के अपने पूर्व के दौरे के दौरान उन्होंने मरने वालों की संख्या 5,000-6,000 बताई थी लेकिन पहाड़ों से आ रहे लोगों की आंखों देखी सुनने के बाद मैं समझता हूं कि मृतकों की संख्या 10,000 से अधिक हो सकती है लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने स्पष्ट किया कि उनके पास मौजूद जानकारी के अनुसार, मृतकों की संख्या 900 है. उन्होंने कहा कि मृतकों की पूरी संख्या अभी सामने नहीं आई है और इसमें अभी कुछ दिन लग सकते हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कुंजवाल के दावे को गलत बताया है. नेगी ने कहा कि केदारानाथ घाटी सर्वाधिक प्रभावित हुई है, जहां अभी भी शव पड़े हुए हैं.

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उन्होंने कहा, 'हमने अभी तक गौरीकुंड से केदारनाथ तक 14 किलोमीटर पैदल मार्ग साफ किया है लेकिन वहां मलबों के नीचे अभी भी शव दबे हुए हैं. ये शव मलबों के पांच-10 फुट नीचे दबे हुए हैं. हमें उन मलबों को हटाने की जरूरत है. मलबे हटा लेने के बाद हम मृतकों की सही संख्या बता पाने की स्थिति में आ जाएंगे.'

नेगी ने यह भी कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री के हाल के दौरे के दौरान राज्य सरकार ने जमीन खोदने वाली मशीनों के लिए अनुरोध किया था.

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, 'मलबों को हाथ से हटाकर शवों को निकालना संभव नहीं है. हमने केंद्र सरकार से मशीनों के लिए अनुरोध किया है. मशीनों को हवाई मार्ग से पहुंचाया जा सकता है और उनकी मदद से हम केदारनाथ घाटी से शवों को खोदकर निकाल लेंगे.'

उन्होंने कहा, 'केदारनाथ घाटी से बचाए गए कई लोगों ने खौफनाक कहानियां सुनाई है. हमें उस इलाके में तमाम लोगों के मरने की आशंका है लेकिन इस समय हम सही संख्या नहीं बता सकते. यह मात्र अनुमान है. मृतकों का 10,000 का आंकड़ा अधिक भी हो सकता है और कम भी हो सकता है.

मंत्री ने यह भी कहा कि मृतकों की सही संख्या बताने में समय लगेगा. उन्होंने कहा, 'हम शवों की गिनती होने और लोगों द्वारा अपने लापता प्रियजनों के बारे में दायर की जाने वाली रिपोर्टों की जांच-पड़ताल करने के बाद सही संख्या बता पाएंगे. हम प्रत्येक शव के डीएनए नमूने भी जुटा रहे हैं.'

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नेगी ने कहा कि केदारनाथ घाटी में सड़ चुके शवों के कारण महामारी फैलने की आशंका बनी हुई है.

उन्होंने कहा, 'हमारी पहली प्राथमिकता शवों को मलबों से निकालना, दूसरी प्राथमिकता केदारनाथ घाटी के पूरे रास्ते को बहाल करना है. तीसरी प्राथमिकता यह देखना है कि कोई महामारी न फैले. हम स्थिति पर नजर रखे हुए हैं. अभी तक वहां ऐसी कोई आशंका नहीं है.'

नेगी ने यह भी कहा कि बद्रीनाथ में अभी भी 300-400 लोग फंसे हुए हैं, और वे वहां से निकाले जाने का इंतजार कर रहे हैं. वायुसेना ने शनिवार को वहां से 800 से अधिक लोगों को निकाला था.

उल्लेखनीय है कि भारी बारिश, भूस्खलन से आई विनाशकारी आपदा से प्रभावित उत्तराखंड के इन इलाकों से अबतक 100,000 से अधिक लोगों को बचाया जा चुका है.

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