scorecardresearch
 

'जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघनों के लिये 104 सैन्यककर्मी हुए दंडित'

अपने कर्मियों द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन करने पर सेना के कोई कार्रवाई नहीं करने के आरोपों का खंडन करते हुए थलसेना प्रमुख जनरल वी के सिंह ने खुलासा किया कि इस संबंध में जम्मू कश्मीर में 39 अधिकारियों सहित 104 सैन्यकर्मियों को दंडित किया गया है.

Advertisement
X

अपने कर्मियों द्वारा मानवाधिकारों का उल्लंघन करने पर सेना के कोई कार्रवाई नहीं करने के आरोपों का खंडन करते हुए थलसेना प्रमुख जनरल वी के सिंह ने खुलासा किया कि इस संबंध में जम्मू कश्मीर में 39 अधिकारियों सहित 104 सैन्यकर्मियों को दंडित किया गया है.

Advertisement

जनरल सिंह ने कहा कि मानवाधिकार उल्लंघनों के 95 फीसदी आरोप गलत साबित हुए और ये आरोप जाहिरा तौर पर सशस्त्र बलों की छवि खराब करने के परोक्ष मकसद से लगाये गए थे.

थलसेना पर अक्सर फर्जी मुठभेड़ करने और मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के आरोप लगते हैं. इस पर जनरल सिंह ने साक्षात्कार में बताया कि वह थलसेना में बुरे लोगों को बर्दाश्त नहीं करेंगे और ऐसे कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी.

गलत कृत्यों के आरोपों से निबटने के सेना के तरीकों के बारे में उन्होंने कहा कि थलसेना में सैन्य कानून के तहत एक प्रक्रिया का अनुसरण किया जाता है, कार्रवाई की जाती है और मामले को निबटाया जाता है.

जनरल सिंह ने विवरण देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में 1994 से सैन्यकर्मियों के खिलाफ 988 आरोप लगाए गए. उनमें से 965 मामलों की जांच की गयी और 940 आरोप गलत साबित हुए जो करीब 95.2 प्रतिशत हैं. 25 मामलों में आरोप सही पाए गए. सैन्य कार्रवाई को त्वरित बताते हुए उन्होंने कहा कि 104 कर्मियों को दंडित किया गया जिनमें 39 अधिकारी, नौ जूनियर कमीशन अधिकारी और 56 अन्य रैंकों के थे.

Advertisement

सैन्यकर्मियों को दिए गए दंडों में 12 साल तक का सश्रम कारावास, सेवा से बर्खास्‍तगी आदि शामिल हैं. उन्होंने कहा कि सैन्य कानून के तहत न्याय तेजी से होता है और इसमें सख्ती बरती जाती है.

{mospagebreak}जनरल सिंह ने कहा कि दंडित किए गए 104 कर्मियों में से 48 को अपराध के तीन महीनों के अंदर सजा सुनायी गयी जबकि 20 को छह महीनों में और 29 को एक साल में सजा दी गयी. सिर्फ दो मामलों में दो साल का समय लगा.

इस संदर्भ में उन्होंने तहलका स्टिंग ऑपरेशन का भी जिक्र किया और कहा कि इस मामले में शामिल सभी सैन्यकर्मियों को सेना के कानून के तहत दंडित किया गया है जबकि मामले में आरोपी असैनिकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

माछिल मुठभेड़ के बारे में जनरल सिंह ने कहा कि दो सैन्य अधिकारियों को जांच लंबित रहने के दौरान ही निलंबित कर दिया गया. इस घटना में कथित रूप से तीन कश्मीरी युवकों को आतंकवादी बताकर मार दिया गया था. उन्होंने कहा कि इस मामले में तीन असैन्य गवाहों के पेश नहीं होने से सैन्य जांच में देर हो रही थी. अब उनके बयान दर्ज किए जा रहे हैं. उन्होंने वायदा किया कि दोषी लोगों को दंडित किया जाएगा.

Advertisement

लेकिन उन्होंने हर बार आरोप लगने पर सैन्यकर्मियों के असैन्य प्रशासन के समक्ष पेश होने का विरोध किया. जनरल सिंह ने जम्मू कश्मीर पुलिस की सराहना की और कहा कि उसे आतंकवाद से निबटने के लिए अधिक अधिकार दिए जाने चाहिए.

Advertisement
Advertisement