देहरादून में एमबीए के छात्र रणबीर सिंह के फर्जी मुठभेड़ मामले के आरोपी उत्तराखंड पुलिस के 18 जवानों में से 11 ने मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत के समक्ष समर्पण कर दिया, जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया.
आरोपी पुलिसकर्मियों ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश वीके माहेश्वरी के समक्ष समर्पण किया. इन लोगों के खिलाफ 2009 के फर्जी मुठभेड़ के मामले में इसी साल मई में गैर जमानती वारंट जारी किया गया था. अदालत ने कहा, ‘इन लोगों को हिरासत में लिया गया और फिर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.’
समर्पण करने वाले पुलिसकर्मियों में सतवीर सिंह, सुनील सैनी, चंदर पाल, सौरभ नौटियाल, नागेंद्र नाथ, विकास चंद्र बालूनी, संजय रावत, मोहन सिंह राणा, इंदर भान सिंह और मनोज कुमार (सभी कांस्टेबल) तथा देहरादून में पुलिस नियंत्रण कक्ष में प्रमुख ऑपरेटर जसपाल सिंह गोसाईं शामिल हैं.
सीबीआई ने इस मामले में कुल 18 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था. मामले के अन्य आरोपी फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं. गाजियाबाद के एमबीए के छात्र रणबीर को तीन जुलाई 2009 को अपने साथियों के साथ किसी अपराध की कोशिश करने के आरोप में मोहिनी रोड पर पकड़ कर गिरफ्तार करने के बाद कथित तौर पर गोली मार दी गई थी.
वर्ष 2009 में पहाड़ी राज्य को हिला देने वाले इस मामले में तत्कालीन पुलिस निरीक्षक संतोष जायसवाल, उप निरीक्षक गोपाल दत्त भट्ट, राजेश बिष्ट, नीरज कुमार, नितिन चौहान और चंद्र मोहन तथा कांस्टेबल अजीत सिंह को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए चार जुलाई की तारीख मुकर्रर की है.
इन 11 आरोपियों ने अदालत से यह भी गुहार लगाई कि इन्हें एक ही जेल में रखा जाए क्योंकि पुलिसकर्मी होने के कारण इन्हें अन्य कैदियों से खतरा है. अदालत ने इसकी इजाजत दे दी.
रणवीर के पिता रवींद्र सिंह के आग्रह पर उच्चतम न्यायालय ने इस मामले को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था. रवींद्र सिंह का आरोप है कि उनका बेटा नौकरी की तलाश में देहरादून गया था. वहां पुलिस ने डकैती में कथित संलिप्तता के बहाने उसे तीन जुलाई, 2009 को गिरफ्तार कर लिया.
उन्होंने आरोप लगाया कि उसी दिन उनके 22 वर्षीय बेटे को 29 गोलियां मारी गईं और मुठभेड़ की कहानी गढ़ दी गई. सभी 18 पुलिस कर्मियों पर अपहरण, हत्या, आपराधिक षड्यंत्र, सबूत नष्ट करने जैसे अपराधों के आरोप लगाए गए हैं.