जम्मू-कश्मीर के उरी में रविवार तड़के आर्मी कैम्प पर हुआ हमला हाल के वर्षों में भारतीय सेना पर हुए सबसे घातक हमलों में से एक है. साल 2002 में जम्मू-कश्मीर के कालूचक में आर्मी कैंप पर हुए फिदायीन हमले में 33 लोगों की जानें गई थीं. इस हमले के बाद उरी में हुआ सबसे भीषण हमला है. हालांकि, उरी हमले में शामिल 4 आतंकवादी भी मारे गए लेकिन हर दो-चार महीने में हो रहे ऐसे आतंकी हमलों ने हमारी सुरक्षा तैयारियों की पोल खोल कर रख दी है.
साल 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो जनता को उम्मीद बंधी थी कि अब पाकिस्तान की नापाक हरकतों का जवाब देने के लिए मजबूत सरकार सत्ता में आई है. उम्मीद इसलिए क्योंकि आम चुनाव में प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी अपनी रैलियों में पाकिस्तान का जिक्र करते और पड़ोसी मुल्क को कड़ा जवाब देने का वादा करते नहीं थकते थे. मोदी दावा करते कि पाकिस्तान को जवाब देने के लिए 56 इंच का सीना होना चाहिए. मोदी ने यह भी कहा था कि अगर वो हमारे एक सैनिक को मारेंगे तो हम उनके 10 मारेंगे. लेकिन मोदी सरकार के ढाई साल बीत जाने के बाद भी पाकिस्तान की नापाक हरकतें बदस्तूर जारी हैं और सीमा पार से आए आतंकियों के हमले में आए दिन हमारे जवान शहीद हो रहे हैं.
केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले:-
5 दिसंबर, 2014: उरी के मोहरा में सेना के कैंप पर आतंकी हमले में 11 जवान शहीद हो गए. शहीद होने वालों में एक लेफ्टिनेंट कर्नल रैंक का अफसर भी शामिल था. इस ऑपरेशन में 6 आतंकी भी मारे गए.
27 नवंबर, 2014: जम्मू के अरनिया में सीमा से सटे कठार गांव में दिनभर चले मुठभेड़ में चार नागरिक और तीन जवानों सहित 10 लोग मारे गए. इस घटना में तीन आतंकी भी मारे गए.
20 मार्च, 2015: कठुआ जिले के एक पुलिस स्टेशन पर सेना की वर्दी में आए आतंकवादियों ने हमला किया. इसमें स्पेशल फोर्सेज के तीन जवानों समेत 7 लोगों की जानें चली गईं. इस हमले में तीन पुलिसवाले और एक सिविलयन जख्मी भी हो गया था.
21 मार्च, 2015: सांबा जिले में जम्मू-पठानकोट नेशनल हाइवे पर आर्मी कैम्प पर फिदायीन हमले के दौरान 2 आतंकी मारे गए. इस हमले में आर्मी का एक मेजर और एक जवान सहित 3 जख्मी हो गए.
31 मई, 2015: कुपवाड़ा जिले के तंगधार सेक्टर स्थित ब्रिगेड हेडक्वार्टर में सेना ने एक बड़े आतंकी हमले की कोशिश को नाकाम किया. इस हमले में शामिल 6 में से चार आतंकी ढेर कर दिए गए.
18 नवंबर, 2015: कुपवाड़ा के जंगलों में आतंकवादियों से मुठभेड़ में सेना की एलीट कमांडो यूनिट के कर्नल शहीद.
25 नवंबर, 2015: कुपवाड़ा के तंगधार में आर्मी कैंप पर हुए हमले में जैश-ए-मुहम्मद के तीन आतंकवादी मारे गए. इस हमले में सेना के एक जेनरेटर ऑपरेटर की जान चली गई.
7 दिसंबर, 2015: अनंतनाग जिले के बिजबेहरा में ग्रीन टनल के पास आतंकवादियों ने हमला किया जिसमें सीआरपीएफ के 6 जवान जख्मी हो गए.
21 फरवरी, 2016: श्रीनगर में एक सरकारी इमारत में घुसे आतंकवादियों से मुठभेड़ में सेना के दो कैप्टन सहित तीन कमांडो शहीद हो गए. हमले शामिल चारों आतंकी भी मार गिराए गए.
25 जून, 2016: पंपोर में श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाइवे के पास सीआरपीएफ के काफिले पर हमले में 8 जवान शहीद हो गए जबकि 20 अन्य घायल हो गए.
15 अगस्त, 2016: स्वतंत्रता दिवस की परेड के 2 घंटे बाद श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में आतंकी हमले में सीआरपीएफ के कमांडेंट प्रमोद कुमार शहीद हो गए जबकि 9 अन्य जवान जख्मी हो गए.
18 सितंबर, 2016: उरी में सेना के कैंप पर आतंकी हमले में 17 जवान शहीद हो गए. 19 अन्य अब भी अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं.
पंजाब में इन दो हमलों में भी दिए गहरे जख्म
इस तरह केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद केवल जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में कम से कम 59 जानें गई हैं जबकि 71 अन्य जख्मी हुए हैं. वैसे तो पंजाब के पठानकोट और गुरुदासपुर में हुए आतंकी हमले भी काफी जख्म दे गए हैं जिन्हें पाकिस्तान की ओर से आए आतंकवादियों ने अंजाम दिया था. 2 जनवरी 2016 को पठानकोट एयरबेस पर हुए हमले में 7 जवान शहीद हो गए थे जबकि 20 अन्य घायल हो गए.
इससे पहले 27 जुलाई 2015 को गुरुदासपुर जिले के दीनानगर पुलिस स्टेशन पर हुए आतंकी हमले में एसपी सहित चार पुलिसकर्मियों और 3 नागरिकों की जानें चली गईं. करीब 12 घंटे तक चली इस मुठभेड़ में 10 अन्य घायल भी हुए थे. हालांकि तीनों हमलावर मार गिराए गए थे. इन हमलों में पाकिस्तान का हाथ होने के पुख्ता सबूत मिले. लेकिन केंद्र की मोदी सरकार अभी तक कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.