राज्यसभा के 140 सदस्यों ने इस बात की घोषणा की है कि उनके कंपनियों के निदेशक, हिस्सेदारी के नियंत्रण, नियमित वेतन, परामर्श सेवाओं के एवज में भुगतान और पेशेवर कार्यो के रूप में कोई आर्थिक हित नहीं जुड़े हुए हैं, हालांकि उन्होंने अपने चुनावी हलफनामा में करोड़ों रुपये की सम्पत्ति की घोषणा की है.
स्वयंसेवी संगठन ऐसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स एंड इलेक्शन वाच को सूचना के अधिकार कानून के तहत इस बात की जानकारी प्राप्त हुई है. नियमों के तहत वे विभिन्न कंपनियों, कारोबार और प्राप्त पारिश्रमिक की घोषणा करते हैं.
राज्यसभा के सदस्य को शपथ लेने के 90 दिनों के भीतर पांच मदों के प्रारूप वाला एक फार्म भरना होता है जिसमें निदेशक के रूप में वेतनभत्ता, नियंत्रण के स्वरूप वाली शेयर हिस्सेदारी, कार्यो के एवज में प्राप्त होने वाले नियमित पारिश्रमिक, परामर्श सेवाओं के बदले में प्राप्त होने वाली धनराशि और पेशेवर कार्यो के बारे में जानकारी देनी होती है.
समूह ने कहा कि प्राप्त सूचना के अंतर्गत राज्यसभा की ओर से उपलब्ध करायी गई सूचना के तहत 232 सदस्यों में 140 सदस्यों ने इस बात की घोषणा की कि उनका फार्म के उल्लिखित मदों के संदर्भ में कोई आर्थिक हित नहीं हैं.
संगठन के संयोजक अनिल बैरवाल ने कहा, ‘हालांकि चुनाव आयोग के समक्ष घोषित जानकारी में इन 140 सांसदों में से कुछ ने करोड़ों रुपये की सम्पत्ति का उल्लेख किया है. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक राज्यसभा के 58 प्रतिशत सदस्य करोड़पति हैं. यह दिलचस्प है कि उनके नियमित आर्थिक हित नहीं हैं लेकिन उनके पास इतनी सम्पत्ति है.’