scorecardresearch
 

1984 सिख-विरोधी दंगे: तीन अभियुक्तों को उम्रकैद

दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 1984 में राजधानी में हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान एक सिख परिवार के सदस्यों की हत्या की कोशिश करने के आरोपी तीन लोगों को शनिवार को उम्रकैद की सजा सुनाई.

Advertisement
X

दिल्ली की एक अदालत ने वर्ष 1984 में राजधानी में हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान एक सिख परिवार के सदस्यों की हत्या की कोशिश करने के आरोपी तीन लोगों को शनिवार को उम्रकैद और प्रत्येक को छह लाख 20 हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा देते हुए वारदात वाले दिन पुलिस और सरकार के लापरवाह रवैये पर सख्त नाराजगी जाहिर की. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसएस राठी ने उत्तरी दिल्ली के शास्त्री नगर इलाके में हत्या की कोशिश करने, दंगा करने और डकैती डालने के मामले में मंगल सेन उर्फ बिल्ला, बृज मोहन वर्मा तथा भगत सिंह को गत 22 अगस्त को दोषी करार दिया था.

सिख विरोधी दंगों के दौरान दिल्ली पुलिस और राज्य के प्रशासनिक तंत्र के रवैये पर कड़ी नाराजगी जाहिर करने वाले न्यायाधीश ने खचाखच भरी अदालत में तीन अभियुक्तों को सजा सुनाई. अदालत ने 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के किये जाने के बाद शुरू हुए दंगों को रोकने में नाकाम रहने पर दिल्ली पुलिस और सरकार की कड़ी आलोचना की. दूसरी ओर, दोषी करार दिये गए तीन अभियुक्तों ने खराब स्वास्थ्य और ज्यादा उम्र को देखते हुए अपने साथ नरमी बरतने की अपील की.

गौरतलब है कि सजा पाए इन लोगों की अगुवाई में एक नवम्बर 1984 को भीड़ ने जोगिंदर सिंह और उनके दो बेटों जगमोहन सिंह तथा गुरविंदर सिंह को गम्भीर रूप से घायल करके उनके घर में आग लगा दी थी. जोगिंदर सिंह द्वारा शपथपत्र दाखिल किये जाने के बाद वर्ष 1992 में जस्टिस रंगनाथ मिश्र आयोग की सिफारिश पर पुलिस ने इस मामले की फिर से जांच की थी. अदालत ने वर्ष 2001 में अभियुक्तों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किये थे. अभियोजन पक्ष ने इस मामले में जोगिंदर के पुत्रों समेत नौ गवाह पेश किये थे.

Advertisement
Advertisement