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1984 दंगा मामलों के स्थानांतरण पर फैसला सुरक्षित

दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने सिख विरोधी दंगा मामलों में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के साथ एक सह अभियुक्त के उस आग्रह पर फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें मामलों को विशेष अदालत से स्थानीय अधिकार क्षेत्र वाले किसी न्यायाधीश को स्थानांतरति करने की मांग की गई थी.

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दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने सिख विरोधी दंगा मामलों में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार के साथ एक सह अभियुक्त के उस आग्रह पर फैसला सुरक्षित रख लिया जिसमें मामलों को विशेष अदालत से स्थानीय अधिकार क्षेत्र वाले किसी न्यायाधीश को स्थानांतरति करने की मांग की गई थी.

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जिला एवं सत्र न्यायाधीश जीपी मित्तल ने मामले में सीबीआई के वकील और सज्जन कुमार के साथ सह अभियुक्त खुशहाल सिंह के तर्क सुने तथा अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. मामले में जिरह के दौरान खुशहाल के वकील वीके मलिक ने कहा कि एक ऐसी अदालत में मामला चलाना अवैध है जो मामले में अधिकार क्षेत्र नहीं रखती. उन्होंने तर्क दिया कि दिल्ली नौ न्यायिक जिलों में बंटी है और इसलिए दंगों के दौरान हत्याओं से संबंधित मामले उचित अधिकार क्षेत्र रखने वाली अदालतों में चलाए जाने चाहिए.

मलिक ने कहा कि क्योंकि अपराध सुल्तानपुरी और दिल्ली कैंटोनमेंट क्षेत्र में हुआ इसलिए मामले क्रमश: रोहिणी तथा द्वारका अदालतों में चलाए जाने चाहिए. हालांकि सीबीआई के वकील डीपी सिंह ने कहा कि आरोपी का आग्रह कड़कड़डूमा में विशेष सीबीआई न्यायाधीश द्वारा पहले ही निपटाया जा चुका है. सीबीआई के वकील डी पी सिंह ने कहा कि फाइलों को केवल प्रशासनिक उद्देश्यों से मामलों के उपयुक्त आवंटन को लेकर प्रस्तुत किया गया है.

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सीबीआई ने दावा किया कि दो मामलों से संबंधित फाइलों को अतिरिक्त चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) ने कड़कड़डूमा के विशेष न्यायाधीश को भेजा है. सीबीआई को कुछ कड़े सवालों का भी सामना करना पड़ा. जिला न्यायाधीश ने कहा, ‘एसीएमएम को यह ताकत किसने दी. क्या एसीएमएम को यह ताकत है कि वह किसी फाइल को विशेष अदालत में भेजे.’ {mospagebreak}

शिकायतकर्ता की ओर से उपस्थित होते हुए वरिष्ठ वकील एच एस फुलका ने स्वीकार किया कि अभियुक्त ने कड़कड़डूमा अदालत के समक्ष अग्रिम जमानत की याचिका दायर कर इसके न्याय क्षेत्र को स्वीकार किया है. फुलका के बयान के बाद अभियुक्त की याचिका का विरोध करने वाले वकील के साथ उनकी गरमागरम बहस हुई. विरोध करने वाले वकील ने कहा कि उन्हें इस मामले में बोलने का अधिकार नहीं है जिस पर फुलका ने कहा कि मामला लोगों की भावना से जुड़ा है और इसमें समुदाय का व्यापक हित निहित है.

कड़कड़डूमा की विशेष सीबीआई अदालत ने 27 मार्च को खुशहाल की याचिका को खारिज कर दिया था जिन्होंने न्याय क्षेत्र पर आपत्ति जताते हुए मामलों के स्थानांतरण की मांग की थी लेकिन उसने सुनवाई के उपयुक्त आवंटन को लेकर केस फाइल को जिला न्यायाधीश को भेज दिया था.

20 मार्च को एसीएमएम ने सज्जन कुमार की याचिका को रिकार्ड में लेने से इनकार कर दिया और दंगा मामले में उनके खिलाफ दायर आरोप पत्र से संबंधित कुछ दस्तावेजों की मांग की और उन्हें सीबीआई की अदालत के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया. सीबीआई ने न्यायाधीश जी टी नानावती आयोग की अनुशंसा पर दंगा मामले में 13 जनवरी को दो आरोप पत्र दायर किया था. आयोग ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिलसिलेवार दंगों की जांच की थी.

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