1984 में सिख दंगों के लिए गठित एसआईटी के बाद पहली सजा-ए-मौत का ऐलान हो गया है. घटना के 34 साल बाद कोर्ट की ओर से इस दंगे के आरोपियों में से किसी एक और को मौत की सजा दी गई है. हालांकि इस दंगे से जुड़े कई और केस कोर्ट में लंबित है और उनमें कई बड़े नाम भी शामिल हैं.
फिर से खुले केस
दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) का गठन किया था, जिससे करीब 60 केस फिर से खोले गए थे. एसआईटी जांच के बाद से कोर्ट की ओर से यह पहली सजा सुनाई गई है.
पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को जिस महिपालपुर केस में 2 लोगों (एक को मौत और दूसरे को उम्र कैद) को सजा सुनाई है, उस फाइल को 1994 में पुलिस ने बंद कर दिया था.
1996 में पहली फांसी
इससे पहले 1984 सिख विरोधी दंगों के दंगाइयों में से एक कसाई किशोरी लाल को 1996 में फांसी दी गई थी. उस पर 5 दंगों में शामिल होने के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, बाद में उसे उम्रकैद में बदल दिया गया था.
एसआईटी जांच में पहली सजा मिलने के बाद 34 साल पहले हुए दंगे में और कई मामलों में फैसला आने की आस बढ़ गई है. सिख दंगों के बाद 294 मामले दर्ज हुए थे, इनमें से 52 मामलों में सुनवाई के दौरान एसआईटी को दंगे के गवाह मिले. 16 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं. दंगों के बाद 34 साल के वक्त गुजरने के दौरान 186 मामलों के आरोपी या पीड़ित की मौत हो चुकी है.
जांच के लिए 10 आयोग का गठन
सिख विरोधी दंगों की जांच के लिए 10 आयोग (मारवाह आयोग, मिश्रा आयोग और नानवती आयोग ) और समितियां (जैन-बनर्जी समिति, कपूर-मित्तल समिति) बनाई गईं. कई कांग्रेसी नेताओं पर इस दंगे को भड़काने के आरोप लगे. जांच में कांग्रेस के 2 बड़े नेता सज्जन कुमार और जगदीश टाइटलर का नाम आया, लेकिन 2013 में दिल्ली की एक स्थानीय अदालत ने सज्जन को बरी कर दिया. सज्जन का मामला अभी चल रहा है, हालांकि दोनों ने दंगों में शामिल होने के आरोपों को नकारा है.
पूर्व पार्षद बलवान खोखर, सेवानिवृत्त नौसैनिक अधिकारी कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल और दो अन्य आरोपियों को 1 नवंबर, 1984 में दिल्ली छावनी के राजनगर क्षेत्र में एक परिवार के 5 सदस्यों की हत्या मामले में दोषी ठहराया. खोखर, बागमल और गिरधारी लाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई जबकि अन्य दो दोषियों पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर को 3-3 साल जेल की सजा सुनाई गई. कांग्रेस के दिग्गज नेता जगदीश टाइटलर को दंगों से क्लीन चिट मिल गई.
सज्जन कुमार को गवाह ने पहचाना
पटियाला हाउस कोर्ट में ही पिछले हफ्ते दंगों को लेकर एक अन्य सुनवाई के दौरान गवाह बीवी चाम कौर ने कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को जज के सामने पहचान लिया. कोर्ट की जज पूनम भांबा की कोर्ट में गवाह चाम कौर ने सज्जन कुमार की पहचान करते हुए कहा कि ये वही शख्स है जिसने भीड़ को उकसाया था.
सिख दंगों से जुड़े इस मामले में सज्जन कुमार आरोपी हैं. दंगे में बीवी चाम कौर के परिवार के कई लोगों को दंगे में अपनी जान गंवानी पड़ी थी. मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी.
चाम कौर ने कोर्ट को सज्जन कुमार के सामने दिए बयान में कहा कि 1 नवंबर 1984 को सुल्तानपुरी इलाके में भीड़ को सज्जन कुमार ने उकसाया था और उसके बाद भीड़ ने उसके घर को आग के हवाले कर दिया था. उन्होंने कोर्ट को दिए अपने बयान में आगे बताया कि उसके पिता और बेटे की हत्या भी उसी भीड़ ने की. मामले की जांच सीबीआई भी कर रही है.
कोर्ट ने सुनाई सजा
पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को सिख दंगों के मामले में दो लोगों को सजा सुनाते हुए दोषी यशपाल को फांसी की सजा जबकि दूसरे दोषी नरेश सेहरावत को कोर्ट ने उम्र कैद की सजा सुनाई. साथ ही दोनों पर 35-35 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया. एसआईटी की ओर से दर्ज किए गए 5 मामलों में पहले मामले में यह फैसला आया है.
नरेश सेहरावत और यशपाल सिंह को कोर्ट ने दो सिखों हरदेव सिंह और अवतार सिंह को दिल्ली के महिपालपुर में दंगों में जान से मारने का दोषी पाया. सज़ा पाने वाले नरेश सहरावत 68 और यशपाल सिंह 55 साल के हैं. दंगों में मारे गए दोनों लोग हरदेव सिंह और अवतार सिंह की उम्र क्रमशः 1984 में 24 और 26 साल थी.