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रोज नये मुहावरे गढ़ने वाले मांझी जी की नजर, 10 सड़कछाप मुहावरों के नए मतलब

बिहार के बयानवीर मुख्यमंत्री जी ने आज हमें एक नया ज्ञान दिया है कि 'हाथ काटने' का मतलब होता है अधिकार सीमित कर देना. उन्होंने अपनी बात न समझने वाले 'मूर्खों' को जमकर कोसा है और कहा है कि आज का मीडिया मुहावरों का मतलब भी नहीं समझता.

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जिनकी प्रेरणा से लिखा है
जिनकी प्रेरणा से लिखा है

बिहार के बयानवीर मुख्यमंत्री जी ने आज हमें एक नया ज्ञान दिया है कि 'हाथ काटने' का मतलब होता है अधिकार सीमित कर देना. उन्होंने अपनी बात न समझने वाले 'मूर्खों' को जमकर कोसा है और कहा है कि आज का मीडिया मुहावरों का मतलब भी नहीं समझता.

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बहरहाल मुख्यमंत्री साहब के इस साहित्य मर्मज्ञ वाले अवतार को देख कर मेरे अंदर का भी लुगदी साहित्यकार जाग उठा है. उन सारे मुहावरों को ठीक से समझने की जरूरत है, जिन्हें आप अभी तक 'सड़कछाप' कहकर बुरा मान बैठते थे या बोलने वाले की मम्मी-डैडी करने पर ऊतारू हो जाते थे. मांझी साहब ने 'हाथ काटने' की धमकी, ओफ्हो... माफ कीजिएगा मुहावरे का प्रयोग किया था, जिसका मतलब उन्होंने समझाया 'अधिकार सीमित करना'. हम लेकर आए हैं आपके लिए ऐसे ही 10 मुहावरे, जिन्हें फ्री-फोकट बदनाम कर दिया गया है. पढ़िए इन मुहावरों को और जानिए इनका 'मांझी मतलब'. उम्मीद है मांझी जी इन मुहावरों को भी इज्जत दिलवा पाने में सफल रहेंगे...

1. होश ठिकाने लगा देना: जब देश का प्रधानमंत्री स्वच्छता अभियान चला रहा हो, हर चीज करीने से अपने ठिकाने पर रखने की बात कह रहा हो, ऐसे में पहले से ही इस परंपरा का पालन करते आए लोगों को बुरा समझना भी कोई बात हुई भला. प्लेसमेंट के इन मुरीदों को गलत समझा जाना बहुत नाइंसाफी है माईलॉर्ड.

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2. बाप का माल समझा है क्या: दुनिया भर से जहां भाईचारा तक खत्म हो रहा है वहीं अपने यहां मोहब्बत की इंतहा देखिए कि बापचारा बरकरार है. बाप का माल समझने से अभिप्राय है कि मित्र हम दोनों भाई हैं, 'जो मेरा है सो तेरा है' टाइप समझकर हैंडल विद केयर.

3. हवा आने दे: देश में इससे बुरा तो कुछ हो ही नहीं सकता कि इंसान अपने बुनियादी अधिकार की मांग करे और इसे बदतमीजी समझ लिया जाए. अपने चुनाव जीतने के लिए लहर और जिंदा रहने के लिए हवा बहुत जरूरी है, इसमें किसी को भला क्या आपत्ति.

4. मां की आंख: जैसा कि अमूमन होता है, एक उम्र के बाद मां की आंखें कमजोर हो जाती हैं. ऐसे में उनसे प्रेम करने वाले बच्चों की चिंता में मां की आंख शामिल है, तो इससे खूबसूरत बात भला क्या हो सकती है.

5. ऐसी की तैसी: जीवन में परिवर्तन एक अकाट्य सत्य है. जो परिवर्तन का विरोध करता है, वो खत्म हो जाता है. हमारे समाज में बहुत पहले से ऐसा मेहनती तबका मौजूद है, जो यथास्थिति को स्वीकार नहीं करता. ऐसे ही लोग ऐसे को ऐसा ही नहीं रहने देते, उसको पलटकर तैसा बना देते हैं. कहां तो हमें इनका सम्मान करना था, हमने इन बेचारों की इमेज गुंडों सी बना दी. धिक्कार है बाईगॉड.

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6. हड्डी-पसली एक कर दूंगा: भारत में आयुर्वेद का जन्म हुआ. चरक, महर्षि पतंजलि जैसे लोग हमारे यहां हुए. इसी परंपरा में कुछ लोग चिकित्सा के क्षेत्र नई खोज करना चाहते हैं. इन्हीं महान लोगों के दिमाग की उपज है ये मुहावरा. जब सारी मशीनें कॉम्पेक्ट हो रही हैं, तो बॉडी में हड्डी और पसली एक हो जाए तो क्या चमत्कार हो जाए जरा सोचिए.

7. ईंट का जबाब पत्थर से देना: इसको कहते हैं परोपकार का टॉप मॉडल. आपका पड़ोसी आपको ईट देता है, आप उसको पत्थर देते हो. एक रिश्ता सा बन जाता है ईट और पत्थर का. अब इस मुहावरे को सुन कर मुंह मत बिचकाइएगा, क्योंकि रिश्ता वही, सोच नई.

8. तेरी कह के लूंगा: बिना कहे किसी की कोई वस्तु ले लेना चोरी कहलाती है. अब एक अच्छे और सच्चे आदमी से तो यहीं अपेक्षा है कि वो जब ले, तो कहके, पूछ के या बता के ले. इसमें भी लोग अश्लीलता देख लेते हैं, घोर अंधेर है दुनिया में.

9. देती है तो दे, वरना कट ले: प्रभु चेतन भगत यूं भी सफलता के नए मुहावरे गढ़ रहे हैं. हाल ही में इन्होंने नया शब्द गढ़ा 'हाफ गर्लफ्रैंड' इसी उपन्यास में एक नया मुहावरा था जिसे काफी गलत समझ लिया गया. मुहावरा है 'देती है तो दे वरना कट ले.' असल में इस मुहावरे के जरिए भगत जी कहना चाहते है कि हे देवी अगर आप जीवन में मेरा साथ देना चाहें, तो अवश्य दें, वरना लोड ना लें और पहला कट लें और अपने घर को हो आएं.

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10. छह इंच छोटा करना: यह मुहावरा दर्जियों में बड़ा मशहूर है. छह इंच छोटा करने का मासूम सा मतलब है आपकी औकात के हिसाब से आपके कपड़े सिलना, मतलब फिटिंग ड्रेस डूड. किसी के रोजगारी टर्म पर आक्षेप करने वालो तुम्हें मांझी जी माफ नहीं करेंगे.

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