प्रणब मुखर्जी ने बुधवार को पीएमओ को भेजे नोट में साफ कह दिया कि पीएमओ और कई मंत्रालयों से विचार-विमर्श के बाद वित्त मंत्रालय ने वो नोट तैयार किया था, जिसमें 2जी घोटाले में चिदंबरम की भूमिका पर उंगली उठाई गई थी.
इस नोट का खुलासा होने के बाद देर रात प्रणब से मिलने उनके घर तीन मंत्री पहुंचे. लेकिन सवाल उठता है कि क्या इससे सरकार की मुश्किलें कम होंगी. पीएमओ में राज्य मंत्री वी नारायण सामी, संसदीय कार्यमंत्री पवन बंसल, संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव शुक्ला, 2जी पर मचे बवाल के बीच जब बुधवार देर रात तीनों मंत्री वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के घर पहुंचे तो अचानक दिल्ली का सियासी पारा चढ़ गया.
अटकलों का दौर शुरू हुआ कि ये मंत्री पी चिदंबरम के साथ मचे घमासान में प्रणब मुखर्जी को मनाने गए हैं या फिर सरकार की तरफ से कोई रणनीति तैयार करने. अटकलों को और हवा मिली 2जी पर बनी संसदीय समिति के अध्यक्ष पीसी चाको की मौजूदगी से.
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सवाल उठा कि प्रणब के घर चाको क्या कह रहे हैं? कहीं पीएमओ को लिखी चिदंबरम से संबंधित वित्त मंत्रालय की चिट्ठी जेपीसी के सामने पेश ना करने पर उठे विवाद से इस बैठक का कोई मतलब तो नहीं? प्रणब से अपनी मुलाकात पर चाको ने सफाई पेश की तो नारायण सामी भी पीछे नहीं रहे.
बहरहाल चाको या सामी कुछ भी कहें लेकिन इस मुलाकात के पहले के घटनाक्रम पर गौर करें तो साफ लगता है कि 11 बजे रात की ये बैठक कतई सामान्य नहीं थी. इस मुलाकात से चंद घंटे पहले ही ये खुलासा हुआ था कि प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक नोट भेजा है.
आखिर क्या था इस नोट में? प्रणब दा इसे गोपनीय बताकर टाल गए, लेकिन सूत्रों का कहना है कि अपने नोट में प्रणब ने 25 मार्च को वित्त मंत्रालय की तरफ से पीएमओ को भेजे गए उस नोट की पृष्टभूमि के बारे में विस्तार से बताया था, जिसमें 2जी लाइसेंस आवंटन में चिदंबरम की भूमिका पर उंगली उठाई गई थी. ये नोट प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को सोनिया गांधी को भी दिया था.
सरकार के सूत्रों की मानें तो इस नोट में कहा गया है कि चिदंबरम ने कोई अपराध नहीं किया है. अगर नीतियां बदली जातीं तो दूरसंचार विभाग कानूनी लफड़े में फंस जाता. हालांकि, सूत्रों का ये भी कहना है कि वित्त मंत्रालय के पिछले नोट पर प्रणब कायम हैं. नोट में कहा गया है कि चिदंबरम को लेकर लिखी गई पहली चिट्ठी कई मंत्रालयों की राय पर बनी थी और इसमें पीएमओ भी शामिल है.
जाहिर है, सरकार को लगता है कि प्रणब दा के ताजा नोट से विवाद और भी बढ़ सकता है. ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार और किरकिरी से बचने के लिए अब गंभीरता से कोई कारगर रणनीति बनाना चाहती है ताकि मंत्री अलग-अलग बयान देने की बजाय एक लाइन पर बोलते नजर आएं. सूत्रों के मुताबिक इसी का रास्ता निकालने के लिए कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के साथ भी प्रणब मुखर्जी की बातचीत हुई और फिर तीन मंत्रियों के साथ मुलाकात.