बॉम्बे हाई कोर्ट की गोवा बेंच ने 18 साल के दो कॉलेज छात्रों को ऐसी सजा दी है, जो उन्हें सुधरने का मौका भी देगी और उन्हें बेहतर इंसान भी बनाएगी. दोनों छात्रों को 2 महीने के लिए वृद्धाश्रम में सामुदायिक सेवा करने का निर्देश दिया गया है. गोवा में बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस (BITS) के छात्रों को कॉलेज कैंपस के स्टाल्स से आलू के चिप्स, चॉकलेट, सैनिटाइजर, पेन, नोटपैड, मोबाइल फोन स्टैंड, दो डेस्क लैंप और तीन ब्लूटूथ स्पीकर चोरी करते पकड़ा गया था.
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति एमएस सोनक की पीठ ने दोनों छात्रों के मामले की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. दरअसल, छात्रों ने 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने और अन्य दंडों के साथ एक सेमेस्टर के लिए उनका पंजीकरण रद्द करने के कॉलेज के फैसले को चुनौती दी थी.
याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि चोरी की घटना के बाद कुल मिलाकर पांच छात्रों को आरोपों का सामना करना पड़ा था. मगर, बाद में उनमें से तीन के खिलाफ आरोप हटा दिए गए थे, जिन्होंने इसे भेदभाव के रूप में उजागर किया था. दरअसल, संस्थान के निदेशक का यह मानना था कि इस स्तर पर सजा में कोई भी कमी करने से संस्थान द्वारा दिए गए निर्णयों के खिलाफ छात्रों को अदालत में हस्तक्षेप करने के लिए प्रोत्साहित करेगी.
कोर्ट ने संस्थान को सुधारात्मक दृष्टिकोण पर विचार करने को कहा
इस पर पीठ ने बिट्स के निदेशक को सुधारात्मक दृष्टिकोण पर विचार करने का सुझाव दिया. हालांकि, जब निदेशक ने इनकार कर दिया, तो अदालत ने कहा कि निदेशक की ऐसी प्रतिक्रिया उन छात्रों के खिलाफ एक नकारात्मक प्रतिक्रिया प्रतीत होती है, जिन्होंने उनके फैसले के खिलाफ अदालत के हस्तक्षेप की मांग करने की 'हिम्मत' की थी.
छात्रों के द्वारा भरा गया पूरा जुर्माना लौटाने का कोर्ट ने दिया निर्देश
इन टिप्पणियों के साथ पीठ ने निलंबन आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें सेमेस्टर परीक्षा का उत्तर देने से रोके जाने का दंड शामिल था. कोर्ट ने छात्रों द्वारा संस्थान में जमा किए गए जुर्माने का 50% रिफंड करने का भी निर्देश दिया. शेष 50% रिफंड सामुदायिक सेवा पूरी करने के बाद वापस करने का निर्देश दिया गया था, जो 1 फरवरी 2024 से शुरू होगी.