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प्रतिबंधित होने के बाद इंडियन मुजाहिदीन का पहला हमला

केंद्र सरकार ने इस वर्ष जून में इंडियन मुजाहिदीन को आतंकवादी संगठन घोषित कर प्रतिबंधित कर दिया था और इसके बाद पहली बार वाराणसी में विस्फोट का दावा कर वह फिर सुखिर्यों में आ गया है.

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केंद्र सरकार ने इस वर्ष जून में इंडियन मुजाहिदीन को आतंकवादी संगठन घोषित कर प्रतिबंधित कर दिया था और इसके बाद पहली बार वाराणसी में विस्फोट का दावा कर वह फिर सुखिर्यों में आ गया है.

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इंडियन मुजाहिद्दीन का हाथ दिल्ली में दस श्रृंखलाबद्ध विस्फोटों और देश के अन्य हिस्से में विस्फोटों में होने का संदेह है, जिसमें करीब 500 लोगों की जान चली गई. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इंडियन मुजाहिदीन प्रतिबंधित सिमी और पाकिस्तान स्थित लश्कर ए तैयबा का छाया संगठन है और सीधे तौर पर वह पाकिस्तान के आईएसआई से नियंत्रित होता है.

समूह को प्रतिबंधित करते हुए गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, ‘‘इंडियन मुजाहिदीन और इससे संबंधित सभी संगठनों को अवैध गतिविधियां (निवारण) अधिनियम 1967 की सूची में शामिल करने का आदेश जारी कर दिया गया है.’’ इसको शामिल करने के साथ ही ऐसे संगठनों की संख्या 35 हो गई है, जिसमें अलकायदा, लिट्टे, जैश ए मोहम्मद, हिज्बुल मुजाहिदीन, भाकपा माओवादी और उल्फा शामिल हैं.

इंडियन मुजाहिदीन पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बेंगलूर और मुंबई में श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट करने का आरोप है. यह 23 फरवरी, 2005 को उस वक्त सुखिर्यों में आया, जब वाराणसी में बम विस्फोट कर इसने 8 लोगों को घायल कर दिया.

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