पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि बापू आज भी दुनिया में उन लाखों-करोड़ों लोगों के लिए आशा की किरण हैं, जो समानता, सम्मान, समावेश और सशक्तीकरण से भरपूर जीवन जीना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि विरले ही लोग होंगे, जिन्होंने मानव समाज पर उनके जैसा गहरा प्रभाव छोड़ा हो.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर के अवसर पर कई अखबारों के लिए लिखे अपने लेख में पीएम मोदी ने कहा, 'महात्मा गांधी ने भारत को सही अर्थों में सिद्धांत और व्यवहार से जोड़ा था. इक्कीसवीं सदी में भी महात्मा गांधी के विचार उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने उनके समय में थे और वे ऐसी अनेक समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, जिनका सामना आज विश्व कर रहा है.'
मानवता को एकजुट करने की शक्ति
पीएम ने लिखा है, 'एक ऐसी दुनिया में, जहां आतंकवाद, कट्टरपंथ, उग्रवाद और विचारहीन नफरत देशों और समुदायों को विभाजित कर रही है, वहां शांति और अहिंसा के महात्मा गांधी के स्पष्ट आह्वान में मानवता को एकजुट करने की शक्ति है. ऐसे युग में, जहां असमानताएं होना स्वाभाविक है, बापू का समानता और समावेशी विकास का सिद्धांत विकास के आखिरी पायदान पर रह रहे लाखों लोगों के लिए समृद्धि के एक नए युग का सूत्रपात कर सकता है.'
स्वच्छ भारत अभियान
पीएम मोदी ने कहा, 'पिछले चार वर्षों में स्वच्छ भारत अभियान के जरिए 130 करोड़ भारतीयों ने महात्मा गांधी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की है. हर भारतीय के कठोर परिश्रम के कारण यह अभियान आज एक ऐसे जीवंत जन आंदोलन में बदल चुका है, जिसके परिणाम सराहनीय हैं. वैष्णव जन तो तेने कहिए, जे पीर पराई जाणे रे- यह बापूजी की सबसे प्रिय पंक्तियों में से एक थी. यही वह भावना थी, जिसने उन्हें दूसरों के लिए जीवन जीने के लिए प्रेरित किया. हम, 130 करोड़ भारतीय, आज उन सपनों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जो बापू ने देश के लिए देखे और जिसके लिए उन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया था.'
आवश्यकता और लालच के बीच अंतर बताया
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, 'महात्मा गांधी ने एक सदी से भी अधिक पहले, मानव की आवश्यकता और उसके लालच के बीच अंतर स्पष्ट किया था. उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते समय संयम और करुणा, दोनों के पालन की सलाह दी, और स्वयं इनका पालन करके मिसाल पेश की थी. वह अपना शौचालय स्वयं साफ करते थे और आसपास के वातावरण की स्वच्छता सुनिश्चित करते थे. गांधीजी यह सुनिश्चित करते थे कि पानी कम से कम बर्बाद हो और अहमदाबाद में उन्होंने इस बात पर विशेष ध्यान दिया कि दूषित जल साबरमती के जल में न मिले.'
सबमें भरी आत्मविश्वास की भावना
उन्होंने कहा, 'गांधीजी के व्यक्तित्व की सबसे खूबसूरत बात यह थी कि उन्होंने हर भारतीय को एहसास दिलाया था कि वे भारत की स्वतंत्रता के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने अध्यापक, वकील, चिकित्सक, किसान, मजदूर, उद्यमी, सभी में आत्म-विश्वास की भावना भर दी थी कि जो कुछ भी वे कर रहे हैं, उसी से वे स्वाधीनता संग्राम में योगदान दे रहे हैं.'