आदर्श घोटाले की न्यायिक आयोग द्वारा दो साल तक की गयी जांच पूरी हो गयी है. बताया जाता है कि महाराष्ट्र सरकार ने पहली बार यह स्वीकार किया है कि विवादास्पद आवास समिति को आवश्यक पर्यावरण मंजूरी नहीं मिली थी.
आयोग के सूत्रों ने बताया कि जनवरी 2011 में गठित आयोग ने कल घोटाले की जांच पूरी कर ली तथा अगले माह सरकार को उसकी अंतिम रिपोर्ट सौंपी जायेगी. सरकार आयोग के निष्कर्षों को स्वीकार या खारिज करने के लिए स्वतंत्र है.
बताया जाता है कि सरकारी वकील ए वाई सखारे ने आयोग में अपनी दलीलों को पूरा करते हुए कहा कि दक्षिणी मुंबई में 31 मंजिला आदर्श इमारत का निर्माण तटवर्ती नियमन क्षेत्र (सीआरजेड) की मंजूरी के बिना तथा केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति लिये बिना किया गया.
सूत्रों ने बताया कि सरकार ने पहली बार स्वीकार किया है कि समिति के पास आवश्यक पर्यावरण मंजूरी नहीं थी. अभी तक राज्य सरकार इसी बात पर कायम थी कि इमारत को अनुमति देते समय किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया गया.
बताया जाता है कि राज्य ने पर्यावरण मंत्रालय के इस दावे का समर्थन किया है कि समिति को शहरी विकास विभाग द्वारा मार्च 2003 में भेजे गये पत्र को आरोपियों में से एक पी वी देशमुख ने पर्यावरण मंजूरी के रूप में गलत तरीके से पेश किया था. देशमुख विभाग में पूर्व उप सचिव थे.