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लोकपाल बिल पास होने के कम आसार, संशोधन के 200 प्रस्ताव

राज्यसभा में गुरुवार को पेश लोकपाल विधेयक का भविष्य बहुत कुछ केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के सहयोगी दलों पर निर्भर रहने वाला है.

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अरुण जेटली
अरुण जेटली

राज्यसभा में गुरुवार को पेश लोकपाल विधेयक का भविष्य बहुत कुछ केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के सहयोगी दलों पर निर्भर रहने वाला है.

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सरकार के घटक दलों और उसे बाहर से समर्थन देने वाले राजनीतिक दलों सहित विपक्ष ने विधेयक में संशोधन के लिए 200 प्रस्ताव दिए हैं.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विधेयक में संशोधन के लिए 200 प्रस्ताव दिए गए हैं. विपक्षी दलों के अलावा तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने विधेयक में संशोधन प्रस्ताव दिए हैं.

ज्ञात हो कि राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है. तृणमूल कांग्रेस संप्रग का हिस्सा है जबकि सपा और राजद बाहर से सरकार का समर्थन करते हैं. सरकार को बाहर से समर्थन देने वाली बसपा ने कहा है कि वह मतविभाजन के समय विधेयक के बारे में अपने रुख पर फैसला करेगी. बसपा ने हालांकि, कहा है कि वह सदन से बहिर्गमन नहीं करेगी.

बसपा नेताओं ने कहा कि सपा के सदस्यों ने उनसे कहा है कि उनकी पार्टी सरकार के खिलाफ मत विभाजन में हिस्सा ले सकती है और वह सदन से बहिर्गमन नहीं भी कर सकती है.

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सूत्रों ने बताया कि तृणमूल जिसके सदन में छह सांसद हैं, यदि संशोधन के लिए दबाव बनाती है तो सरकार को विधेयक को पारित कराने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता ने कहा, 'तृणमूल कांग्रेस यदि संशोधनों के लिए दबाव बनाती है तो सरकार को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.'

बसपा के नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा है कि विधेयक पर उनकी पार्टी ने अंतिम फैसला नहीं किया है और वह मत विभाजन के समय अपना रुख साफ करेगी.

उल्लेखनीय है कि भाजपा, मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), आल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके), बीजू जनता दल (बीजद) और शिरोमणि अकाली दल के सदस्यों ने भी विधेयक में संशोधन के लिए प्रस्ताव दिए हैं.

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