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मालेगांव ब्लास्ट: मकोका में बार-बार फंसता रहा केस, फैसले में होगी देरी

9 साल पुराने मालेगांव ब्लास्ट में जिस तरह से आरोपियों पर से मकोका हटाया गया है और उन पर नए सिरे से केस चलाने का आदेश दिया गया है, उससे यही लगता है कि इस ब्लास्ट पर फैसला आने में वक्त लगेगा.

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मालेगांव ब्लास्ट केस
मालेगांव ब्लास्ट केस

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मुंबई में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की स्पेशल कोर्ट ने 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट के आरोपी साध्वी प्रज्ञा, मेजर रमेश उपाध्याय, अजय राहिकर और कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित पर मकोका के तहत लगे सभी धाराओं को हटा लिया है.

हालांकि कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित पर अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के धारा 18 के तहत और भारतीय दंड संहिता (120 बी, 302, 307, 304, 326, 427, 153 ए) के तहत अन्य मामले लगाए गए हैं.

स्पेशल कोर्ट ने प्रशासन को आदेश दिया कि साध्वी और पुरोहित के साथ-साथ अन्य सभी आरोपियों पर यूएपीए और भारतीय दंड संहिता के तहत आपराधिक साजिश रचने के खिलाफ मामला दर्ज कराए. साथ ही उसने 3 अन्य आरोपियों पर सभी तरह के आरोप हटा लिए, जिन लोगों को कोर्ट ने बरी कर दिया है उनके नाम हैं शिवनारायण कालसंगरा, श्याम शाहू और प्रवीण ताक्काल्की. 9 साल पुराने मुस्लिम इलाके में हुए मालेगांव ब्लास्ट में कई तरह के उतार-चढ़ाव आए हैं, एक नजर डालते हैं इस पूरे घटनाक्रम पर.

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अब तक क्या हुआ

29 सितंबर, 2008: मालेगांव में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया गया था. इसमें कुल 7 लोग मारे गए, जबकि 80 से अधिक लोग घायल हुए थे. इस केस में एटीएस की जांच में 'अभिनव भारत' संस्था का नाम सामने आया था.

24 अक्टूबर, 2008: इस मामले में पुलिस ने 3 दोषियों साध्वी प्रज्ञा सिंह समेत शिव नारायण गोपाल सिंह कालसांघरा और शाम भंवरलाल साहू को गिरफ्तार किया.

4 नवंबर, 2008: एटीएस ने सैन्य अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को भी गिरफ्तार किया.

20 जनवरी, 2009: महाराष्ट्र एटीएस ने 14 लोगों पर चार्जशीट दाखिल किया जिसमें साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित को ब्लास्ट का मुख्य आरोपी माना गया.

31 जुलाई, 2009: स्पेशल कोर्ट ने 11 आरोपियों पर लगे मकोका हटाने की कोशिश की. इसमें साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित प्रमुख नाम थे.

19 जुलाई 2010: बॉम्बे हाई कोर्ट ने सभी 11 आरोपियों पर मकोका फिर से लगा दिया.

23 सितंबर, 2011: सुप्रीम कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की जमानत याचिका खारिज की.

15 अप्रैल, 2015: सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को पलटकर मकोका को हटा दिया क्योंकि घटना के वक्त कोई साक्ष्य नहीं मौजूद थे जिस कारण उन पर मकोका के तहत केस चलाया जाए. इससे आरोपियों के जमानत मिलने का रास्ता साफ हुआ.

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25 जून, 2015: अभियोगपक्ष की स्पेशल वकील रोहिणी ने आरोप लगाया कि एनआईए ने उन्हें दोषियों पर 'नरमी दिखाने' का निर्देश दिया.

जनवरी, 2016: बॉम्बे हाई कोर्ट ने कर्नल पुरोहित की ओर से दाखिल जमानत देने का विरोध करने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई शुरू किया. 12 जनवरी को साध्वी ने भी यही याचिका दाखिल की.

2016: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कोर्ट के सामने यह कहते हुए साध्वी प्रज्ञा समेत 5 अन्य लोगों पर ब्लास्ट का दोषी मानने का आरोप हटा लिया कि उनके खिलाफ एजेंसी के पास कोई सबूत नहीं है.

20 फरवरी, 2017: हाई कोर्ट ने साध्वी की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी की. एनआई ने भी उनकी जमानत का विरोध नहीं किया.

17 अप्रैल, 2017: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह कर्नल पुरोहित की जमानत का विरोध नहीं करेगी.

25 अप्रैल, 2017: बॉम्बे हाई कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को 5 लाख के बॉन्ड के साथ सशर्त जमानत दे दी. साथ ही उनसे एनआईए कोर्ट में पासपोर्ट जमा कराने को कहा, हालांकि हाई कोर्ट ने पुरोहित समेत अन्य आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी.

17 अगस्त, 2017: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल पुरोहित को अग्रिम जमानत की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया.

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21 अगस्त, 2017: सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल पुरोहित को जमानत दे दी. पुरोहित 22 अगस्त को जेल से रिहा हुए .

27 दिसंबर, 2017: स्पेशल एनआईए कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित पर से मकोका हटा लिया.

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