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2012: पैकेज के मामले में अखिलेश ने मारी बाजी

इसे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कामयाबी कहा जाए या कांग्रेस-नीत केंद्र सरकार की मजबूरी कि उत्तर प्रदेश के समग्र विकास की खातिर जिस आर्थिक पैकेज के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती अपने कार्यकाल के दौरान केंद्र को 5 साल तक चिट्ठी पर चिट्ठी लिखती रहीं, वही आर्थिक पैकेज अखिलेश ने चुटकी बजाते ही चंद महीने के शासनकाल में हासिल कर लिया.

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इसे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कामयाबी कहा जाए या कांग्रेस-नीत केंद्र सरकार की मजबूरी कि उत्तर प्रदेश के समग्र विकास की खातिर जिस आर्थिक पैकेज के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती अपने कार्यकाल के दौरान केंद्र को 5 साल तक चिट्ठी पर चिट्ठी लिखती रहीं, वही आर्थिक पैकेज अखिलेश ने चुटकी बजाते ही चंद महीने के शासनकाल में हासिल कर लिया.

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एसपी ने कहा, अखिलेश की नीयत साफ
सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) का कहना है कि यह कामयाबी मुख्यमंत्री अखिलेश की सूझबूझ, बेहतर समन्वय स्थापित करने के कौशल और साफ नीयत का नतीजा है. वह पूरी ईमानदारी से उत्तर प्रदेश का विकास करना चाहते हैं.

मायावती की मांग अनसुनी
मायावती ने साल 2007 में उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज होते ही प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए करीब 80 हजार करोड़ रुपये का पैकेज केंद्र से मांगा था. साल दर साल गुजरते गए लेकिन केंद्र ने पैकेज की मांग को मंजूर नहीं किया. मायावती ने इस दौरान कई रैलियां कीं और केंद्र की तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार पर सौतेला व्यवहार अपनाए जाने के आरोप लगाए. साल 2012 में उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार बनी.

अखिलेश ने तैयार किया योजनाओं का खाका
बसपा प्रमुख की ही तरह नए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी प्रदेश के विकास से जुड़ी तमाम योजनाओं का प्रारूप तैयार किया और इस बार उन्होंने करीब 90 हजार करोड़ रुपये का आकलन कर केंद्र से पैकेज की मांग की.

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केंद्र ने यूपी पर दिखाई दरियादिली
चौंकाने वाली बात यह रही कि मायावती को पांच साल तक लटकाने वाली केंद्र सरकार ने चंद महीने में ही अखिलेश सरकार की 45 हजार करोड़ रुपये की मांग मंजूर कर ली और आगे भी आर्थिक मदद का भरोसा दिया. वहीं, इलाहाबाद में अगले साल लगने वाले महाकुंभ मेले के लिए भी 800 करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज की मांग को स्वीकार कर लिया गया. विरोधी दलों ने मुख्यमंत्री अखिलेश की इस उपलब्धि को संशय की नजर से देखते हुए इसे राष्ट्रपति चुनाव में सपा द्वारा कांग्रेस के उम्मीदवार प्रणब मुखर्जी का समर्थन करने का इनाम बताया.

बीजेपी ने करार दिया 'रिश्‍वत'
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र कहते हैं, 'केंद्र सरकार ने अखिलेश सरकार द्वारा मांगे गए पैकेज पर सहमति ऐसे वक्त पर दी थी जब देश में राष्ट्रपति चुनाव चल रहे थे. ऐसे में यह संदेश गया कि यह पैकेज नहीं, बल्कि अपने पसंदीदा उम्मीदवार के लिए वोट हासिल करने के उद्देश्य से दी गई रिश्वत है.'

बीएसपी ने कांग्रेस को बताया 'दलित-विरोधी'
उधर, बसपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, 'बसपा के शासनकाल में बहनजी ने उत्तर प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिए 80,000 करोड़ रुपये की मांग अलग पैकेज के रूप में की थी, लेकिन पांच साल के दौरान कांग्रेस ने इसे अनसुना कर दिया. सपा की सरकार बनते ही कांग्रेस ने 45,000 करोड़ रुपये की स्वीकृति सहर्ष प्रदान कर यह साबित कर दिया कि वह दलित विरोधी है.'

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