2019 लोकसभा चुनाव की सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले बीजेपी के सहयोगी दल जहां एक-एक करके बगावती तेवर अख्तियार कर रहे हैं. वहीं, विपक्षी दल एकजुट होने के लिए योजना बना रहे हैं. विपक्षी दलों को एक साथ लाकर मोदी के लिए मुश्किलें खड़ी करने का बीड़ा इन दिनों एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने उठाया है और उनके सहभागी जेडीयू के बागी नेता शरद यादव बने हैं.
'बीजेपी के खिलाफ एकजुटता जरूरी'
शरद यादव ने कहा कि केंद्र की मोदी और तमाम राज्यों में सत्ताधारी बीजेपी सरकारों की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जनता में लगातार बढ़ते गुस्से को देखते हुए विपक्ष की एकजुटता के प्रयास तेज किये गये हैं.उन्होंने बताया कि किसानों और युवाओं की बदहाली तथा सांप्रदायिकता के खतरे की समस्या को प्रमुखता से उठाने के लिए विपक्ष की एकजुटता जरूरी है. आज की बैठक में विपक्षी दलों की ओर से देशव्यापी स्तर पर बीजेपी सरकारों की गलत नीतियों को उजागर करने की रणनीति पर शुरुआती विचार-विमर्श किया गया.
उन्होंने संकेत दिया है कि 2019 में मोदी के खिलाफ विपक्ष एकजुट होगा. बता दें कि अगले सप्ताह फिर से विपक्षी दलों के नेता इस सिलसिले में बैठक करेंगे. यादव ने बताया कि जल्द ही बैठक की तारीख तय कर ली जायेगी.
पवार के घर बैठक में ये नेता पहुंचे
बता दें कि पवार के दिल्ली आवास पर हुई बैठक में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला, सीपीआई के डी राजा और जेडीयू के बागी नेता शरद यादव शामिल हुए थे. शरद पवार ने विपक्ष की एकजुटता के मुद्दे पर बैठक से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सोनिया गांधी से बातचीत की थी. इसके बाद ही बैठक का ऐलान किया था.
मुंबई कार्यक्रम में बनी थी रणनीति
गौरतलब है कि 26 जनवरी को मुंबई में पवार की अगुवाई में ‘‘संविधान बचाओ’’ के नारे के साथ विरोध प्रदर्शन हुआ था. इसमें शरद यादव, डी राजा, हार्दिक पटेल कांग्रेस के सुशील कुमार शिंदे, नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और टीएमसी के दिनेश त्रिवेदी सहित अन्य नेता शामिल हुए थे. इस दौरान ही पवार ने विपक्षी एकजुटता की कार्ययोजना तय करने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के नेताओं की 29 जनवरी को दिल्ली में बैठक करने की घोषणा की थी.हालांकि इस मीटिंग में उम्मीद के मुताबिक दल एकत्र नहीं हुए जिसके बाद बैठक को अगले हफ्ते के लिए टाल दिया गया.