जानेमाने फिल्मकार कुंदन शाह, सईद मिर्जा और लेखिका अरंधति रॉय समेत फिल्म बिरादरी के 24 और नामचीन लोगों ने आज देश में असहिष्णुता के बढ़ते माहौल के खिलाफ तथा एफटीआईआई के छात्रों का समर्थन जताते हुए अपने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार लौटा दिये . इस मुहिम की शुरूआत लेखकों ने अपने साहित्य अकादमी सम्मान लौटाकर की थी जिसमें वैज्ञानिक और फिल्मकार भी जुड़ने लगे.
एफटीआईआई के पूर्व छात्र कुंदन शाह ने कहा कि अपनी मशहूर फिल्म ‘जाने भी दो यारो’ के लिए उन्हें जो एक मात्र राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था , उसे छोड़ना बहुत दुखद है लेकिन एफटीआईआई के अध्यक्ष के रूप में गजेंद्र चौहान की नियुक्ति के खिलाफ यह एक जरूरी फैसला है. शाह ने कहा, ‘मैं इस सम्मान के लिए अपनी संस्था एफटीआईआई का आभारी हूं. अगर मैंने एफटीआईआई में पढ़ाई नहीं की होती तो ‘जाने भी दो यारो’ भी नहीं बनती.’ उन्होंने कहा कि पुरस्कार लौटाने से पहले उन्होंने एफटीआईआई के छात्रों की 139 लंबी हड़ताल में कई बार मामले को उठाया था लेकिन सरकार ने नहीं सुना.
शाह ने कहा, ‘क्या गजेंद्र चौहान का चुनाव सही है? यह चयन हमारी समझ का अपमान है और इस तरह के चयन पर अड़े रहना इस देश की समझदार जनता के लिए आघात की तरह है. मैं सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों, राज्यमंत्री राठौड़ और मंत्री अरुण जेटली से पूछना चाहता हूं कि वे एक बहुत प्रतिष्ठित संस्थान में इस तरह की नियुक्ति करके और उस पर कायम रहकर अपने परिवार, अपने बच्चों को क्या चेहरा दिखाएंगे.’
एफटीआईआई के पूर्व अध्यक्ष और ‘अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है’ जैसी फिल्मों एवं टीवी धारावाहिक ‘नुक्कड़’ के लिए मशहूर मिर्जा ने कहा कि छात्रों ने जो आंदोलन शुरू किया था, वह अब बड़ा हो गया है और ‘असहनशीलता, विभाजन और नफरत’ के खिलाफ आंदोलन बन गया है.