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भारत के खिलाफ जंग जैसा था 26/11 का आतंकवादी कृत्य: निकम

मुंबई हमलों के मामले की सुनवाई कर रही अदालत में बुधवार को अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि अजमल कसाब और अन्य आरोपियों का कृत्य ‘भारत के खिलाफ जंग छेड़ने’ के समान था और इसके लिये मौत या उम्र कैद की सजा दी जानी चाहिये.

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मुंबई हमलों के मामले की सुनवाई कर रही अदालत में बुधवार को अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि अजमल कसाब और अन्य आरोपियों का कृत्य ‘भारत के खिलाफ जंग छेड़ने’ के समान था और इसके लिये मौत या उम्र कैद की सजा दी जानी चाहिये.

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विशेष लोक अभियोजक उज्ज्वल निकम ने मंगलवार को केंद्रीय जेल के अंदर उच्च सुरक्षा वाली अदालत में दलील दी कि कसाब और अन्य षड्यंत्रकारी मुंबई में लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलाकर सरकार को अस्थिर करना तथा देश की राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था को खत्म करना चाहते थे.

उन्होंने कहा कि आतंकवादी कृत्य देश के खिलाफ जंग छेड़ने के समान हैं क्योंकि कुछ देश अन्य देशों के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ने के रूप में इसका हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं. निकम ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 121 के तहत राष्ट्र के खिलाफ जंग छेड़ने के अपराध की परिभाषा के दायरे में सभी देशों के नागरिक आते हैं. यह परिभाषा कसाब के मामले में भी लागू होती है जिस पर आतंकवादी कृत्यों में संलिप्तता का आरोप है.

उन्होंने कहा कि 26/11 हमलों के दौरान निशाना बनाये गये स्थानों के नक्शे तैयार करने के आरोपी फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद भी ‘भारत के खिलाफ जंग छेड़ने’ के आरोप में दोषी ठहराये जाने के लायक हैं.

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निकम ने कसाब के इकबालिया बयान का भी संदर्भ दिया जिसमें उसने कहा था कि 26/11 के षड्यंत्रकारियों ने हमलावरों को पाकिस्तान स्थित एक प्रशिक्षण शिविर में कहा था कि ‘कश्मीर को आजाद करने का भारत सरकार पर दबाव डालने के लिये’ मुंबई में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम दिया जाये. बयान में उसने जिक्र किया था कि मुंबई को इसलिये निशाना बनाया गया क्योंकि यह भारत का बड़ा आर्थिक केंद्र है. कसाब बाद में अपने इकबालिया बयान से पलट गया था. जब निकम अपनी दलील रख रहे थे तब कसाब को सोते देखा गया. फिर न्यायाधीश एम एल टाहिलियानी ने उसे फटकार लगायी. {mospagebreak}

देश के खिलाफ जंग छेड़ने के आरोप से जुड़ी अपनी दलील पर निकम ने आगे कहा कि कसाब और अन्य को षड्यंत्रकारियों ने अमेरिकी, इस्राइली तथा ब्रिटिश नागरिकों की हत्या करने के निर्देश दिये थे क्योंकि षड्यंत्रकारियों का मानना था कि इन देशों ने मुस्लिमों के खिलाफ बर्बरता की है. निकम ने हमलावरों और उनके पाकिस्तान स्थित आकाओं के बीच टेलीफोन पर हुई बातचीत के अंशों का भी संदर्भ दिया. इसमें हमलावरों से कहा गया था कि भारत और इस्राइल के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध खराब करने के लिये इस्राइली नागरिकों की हत्या की जाये.

निकम ने कहा कि सुनवाई के अंत में कसाब का यह कहना झूठ का पुलिंदा, मिथ्यापूर्ण बचाव और बाद में सोचकर कही गयी बात है कि वह भारत में बतौर पाकिस्तानी पर्यटक आया था और 26/11 के हमलों के समय वह पुलिस हिरासत में था. निकम ने आश्चर्य जताया कि कसाब ने उन तीन पुलिस अधिकारियों से जिरह क्यों नहीं की जिन्होंने गवाही दी थी कि उन्हीं ने कसाब को हमलों की रात गिरगांव चौपाटी से जिंदा पकड़ा था जब वह एक अन्य आतंकवादी के साथ कार में भागने की कोशिश कर रहा था.

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विशेष लोक अभियोजक ने कहा कि कसाब उनसे जिरह कर सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. बाद में सोची गयी बात के तौर पर उसने अपना बचाव काफी अंत में किया जब अदालत सबूतों पर गौर करने के बाद उसका बयान दर्ज कर रही थी.  उन्होंने कहा कि हमलों के समय पुलिस हिरासत में होने का कसाब का दावा बतौर सबूत पेश की गयी उसकी तस्वीरों से भी गलत साबित होता है. एक छायाकार ने छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और पास ही स्थित एक पुल पर उसकी तस्वीरें ली थीं.

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