असम में दो सड़क हादसों में 36 लोगों की मौत हो गई और 18 अन्य घायल हो गए. पहली घटना में सोमवार की रात बारातियों को ले जा रही एक बस एक तालाब में गिर गई जबकि दूसरी घटना में मंगलवार सुबह एक तेल टैंकर में आग लग गई.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि पहली घटना में सोमवार रात कामरूप जिले में बारातियों को ले जा रही एक बस एक तालाब में जा गिरी. इस घटना में बस में सवार 12 महिलाओं सहित 31 लोगों की मौत हो गई और छह अन्य बुरी तरह घायल हो गए. बस गुवाहाटी से जिले के रंगिया उपमंडल के दीहू जा रही थी जो राजबाड़ी में हादसे का शिकार हो गई.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि बस एक लकड़ी के पुल से गुजर रही थी जिसके टूट जाने पर यह 40 फुट गहरे तालाब में जा गिरी. मरने वालों में दूल्हा नव कुमार शर्मा, उसके माता-पिता और मित्र शामिल हैं. इस हादसे में तीन बच्चों की भी मौत हो गई.
अब तक छह यात्रियों को बचा कर पास के नलबाड़ी जिला स्थित मुकुंदो काकोती सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है. घायलों की हालत गंभीर बताई जाती है. पुलिस ने सेना और स्थानीय लोगों की मदद से बस को बाहर निकाल लिया है.
दूसरी घटना मंगलवार सुबह गोलाघाट जिले के बादुलिपाड़ा में हुई जहां एक तेल टैंकर पलट गया. इसे देखकर लोग तेल इकट्ठा करने घटनास्थल पर पहुंच गए कि तभी इस तेल से आग की लपटें उठने लगीं. आग की चपेट में आने से पांच लोगों की मौत हो गई और 12 अन्य झुलस गए.
पुलिस ने बताया कि तेल टैंकर जोरहट जा रहा था जो बादुलिपुरा में पलट गया. इसके पलटते ही पास के लोग वहां तेल एकत्र करने पहुंच गए. वे जब तेल निकाल रहे थे उसी समय एक तार टैंकर के उपर गिर पड़ा और देखते ही देखते वहां आग की लपटें उठने लगीं. तेल एकत्र कर रहे लोग आग की लपटों में घिर गए और पांच लोगों की मौत हो गई. 12 घायलों को जिले के अलग अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.
आग से आसपास स्थित कुछ मकान भी नष्ट हो गए. दमकल गाड़ी मौके पर पहुंच गई लेकिन उसके लिए आग पर काबू पाना मुश्किल हो गया. इस पर अधिकारियों ने आग बुझाने के लिए नुमालिगढ़ रिफाइनरी की दमकल गाड़ियां मौके पर भेजीं. फिलहाल आग पर काबू पाया जा चुका है.
इस बीच कामरूप में स्थानीय लोग राष्ट्रीय आपदा राहत बल के देर से पहुंचने के कारण क्षुब्ध हैं. यह दल मंगलवार सुबह छह बजे घटनास्थल पर पहुंचा लेकिन नाराज लोगों ने इसे वापस भेज दिया.
राहत बल के सूत्रों ने कहा कि वे रात में राहत कार्य शुरू नहीं कर सकते थे क्योंकि उनके पास रात में देखने वाले उपकरण नहीं हैं. दावों को खारिज करते हुए स्थानीय लोगों ने कहा कि वे लालटेनों की मदद से घटनास्थल पर पहुंचे और शवों को तालाब से बाहर निकाला तथा छह लोगों की जान बचाई.
स्थानीय लोग पुल की ठीक से देखरेख नहीं किए जाने के कारण भी क्षुब्ध हैं जिसके किनारों पर रेलिंग तक नहीं है. पुल की मरम्मत न होने के लिए उन्होंने लोकनिर्माण विभाग के अधिकारियों पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि पांच साल पहले भी इस पुल पर ऐसा ही हादसा हुआ था जिसमें 12 लोगों की मौत हो गई थी.