पूर्व संचार मंत्री ए. राजा ने बुधवार को जेल में 9 महीने की अवधि पूरी की लेकिन इतने समय में उन्होंने एक भी बार जमानत पर रिहाई का प्रयास नहीं किया जबकि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में बंद अन्य 13 आरोपियों ने उच्चतम न्यायालय समेत तीनों अदालतों के दरवाजे इस सिलसिले में खटखटाये हैं.
राजा को सीबीआई ने मामले में सबसे पहले दो अन्य लोगों के साथ गिरफ्तार किया था. पेशे से वकील भी रहे राजा ने अभी तक निचली अदालत या दिल्ली उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय में से कहीं भी जमानत अर्जी दाखिल नहीं की है.
वहीं इसके विपरीत उनकी पार्टी सहयोगी व राज्यसभा सदस्य कनिमोझी ने जमानत के लिए सभी अदालतों में गुहार लगाई है और विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओ पी सैनी संभवत: उनकी जमानत पर फैसला कर सकते हैं, जिन्होंने कनिमोझी की जमानत अर्जी पर फैसला 3 नवंबर तक के लिए सुरक्षित रखा है.
कनिमोझी के अलावा राजा के पूर्व निजी सचिव आर के चंदोलिया, पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा की जमानत अर्जियों पर भी फैसला किया जाएगा, जिन्हें राजा के साथ गिरफ्तार किया गया था.
विशेष न्यायाधीश स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा, कलेंग्नर टीवी के प्रबंध निदेशक शरद कुमार, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स के निदेशक आसिफ बलवा व राजीव अग्रवाल तथा बॉलीवुड निर्माता करीम मोरानी की जमानत अर्जियों पर भी फैसला सुना सकते हैं.
उच्चतम न्यायालय ने भी कॉरपोरेट जगत के पांच अधिकारियों की जमानत अर्जियों पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है इनमें यूनिटेक लिमिटेड के एमडी संजय चंद्रा, डीबी रियलिटी के एमडी विनोद गोयनका और रिलायंस एडीएजी के शीर्ष अधिकारी गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा व हरी नायर हैं.
इससे पहले सभी 13 आरोपियों के जमानत आवेदनों को या तो निचली अदालत ने या उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था. कनिमोई और शरद कुमार के मामले में शीर्ष अदालत ने उनसे आरोप तय होने के बाद नये सिरे से जमानत के लिए निचली अदालत से गुहार लगाने को कहा था. सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप 22 अक्तूबर को तय किये गये थे.