2जी स्पेक्ट्रम मामले ने ए राजा, कनिमोझी और दयानिधि मारन की बलि ले ही ली और अब लग रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम को भी इस मामले में अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ सकता है.
वित्त मंत्रलाय के नोट में चिदंबरम पर उंगली उठने के बाद सरकार और कांग्रेस ने चिदंबरम को बचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि जिस मामले ने ए. राजा, कनिमोझी को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया, उसी मामले में क्या पी चिदंबरम के खिलाफ कार्रवाई होगी?
केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दो मंत्रियों की बलि ले चुके 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में अब अपनी भूमिका को लेकर उठ रहे सवालों पर केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम घिरते नजर आ रहे हैं. ऐसे में जाहिरा तौर पर विपक्षी दलों ने उनके इस्तीफे की मांग तेज कर दी तो कांग्रेस से लेकर सरकार तक खुलकर उनके बचाव में खड़ी हो गई.
इस बीच, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी से बातचीत में चिदम्बरम ने उनके स्वदेश लौटने तक कुछ भी प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया. उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने मार्च में प्रधानमंत्री कार्यालय को एक नोट भेजा था, जिसमें कहा गया था कि तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम यदि चाहते तो वर्ष 2008 में टेलीकॉम ऑपरेटरों के लिए 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी की जा सकती थी.
नीलामी पर जोर देकर चिदम्बरम स्पेक्ट्रम को पुरानी कीमत पर बेचने से रोक सकते थे, जिससे हजारों करोड़ रुपये के नुकसान से बचा जा सकता था. इस नोट को केंद्रीय वित्त मंत्रालय में उप सचिव ने तैयार किया था और उसे 25 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा गया. एक सामाजिक कार्यकर्ता विवेक गर्ग ने प्रधानमंत्री कार्यालय में आवेदन देकर इस पत्र की प्रति हासिल की है. इस खुलासे में चिदम्बरम का नाम आने पर प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री ने फोन पर उनसे बात की है.
चिदम्बरम ने प्रधानमंत्री और मुखर्जी को भरोसा दिया है कि उनके स्वदेश लौटने तक वह इस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे. ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय वित्त मंत्री संयुक्त राष्ट्र महसभा के अधिवेशन में हिस्सा लेने के लिए न्यूयार्क गए हैं. चिदम्बरम ने गुरुवार को एक बयान में कहा, 'मीडिया के लोगों ने मुझसे पूछा है कि मैं चुप क्यों हूं.
प्रधानमंत्री ने पिछली रात मुझे फ्रेंकफर्ट से फोन किया और मुझसे बात की और केंद्रीय वित्त मंत्री ने मुझसे वाशिंगटन से फोन पर चर्चा की. उन्होंने कहा, 'मैंने प्रधानमंत्री को भरोसा दिया है कि जबतक वह भारत लौट नहीं आते तबतक मैं इस मसले पर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दूंगा.'
इस बीच, सरकार के सूत्रों ने बताया कि फोन पर बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने चिदम्बरम से कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में उनकी भूमिका का उल्लेख करने वाली केंद्रीय वित्त मंत्रालय की टिप्पणी को उन्होंने देखा नहीं है. सूत्रों ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत करीब 20 मिनट तक चली.
इस दौरान प्रधानमंत्री ने चिदम्बरम की निष्ठा में पूरा विश्वास जताया और अपनी स्वदेश वापसी तक उनसे इस मामले में धैर्य रखने के लिए कहा. प्रणब मुखर्जी ने यह कहते हुए कि मामला अदालत के विचाराधीन है, इस नोट के बारे में सीधी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. मुखर्जी ने हालांकि स्वीकार किया कि ऐसा पत्र उनके कार्यालय द्वारा लिखा गया था.
उन्होंने कहा, 'आज एक सनसनीखेज खबर सामने आई है और यह सूचना के अधिकार के तहत पता चला है. वित्त मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय को एक पत्र भेजा गया था. किसी ने सूचना के अधिकार के तहत उस पत्र की प्रति हासिल की है.'
उन्होंने कहा, 'और उसका इस्तेमाल किया जा रहा है, इसे कानूनी तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं यह अलग मसला है- लेकिन इस मामले में सच्चाई यह है कि किसी ने इसे एक विशेष मामले में साक्ष्य के रूप में पेश किया है. मामला न्यायालय के पास विचाराधीन है और न्यायालय इसकी सुनवाई कर रहा है.' भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) ने चिदम्बरम से तुरंत इस्तीफे की मांग की जबकि मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने इस मामले में चिदम्बरम की भूमिका की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है.
भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा, 'पत्र से स्पष्ट होता है कि तत्कालीन वित्त मंत्री चिदम्बरम ने इस घोटाले को रोकने की कोशिश नहीं की. उन्होंने केंद्रीय वित्त सचिव के सुझावों की अनदेखी की, जिन्होंने घोटाले को रोकने के लिए फैसला लेने की बात कही थी.'
जोशी ने कहा कि उनकी पार्टी चिदम्बरम से तत्काल इस्तीफे की मांग करती है और यदि वह इस्तीफा नहीं देते तो उन्हें बर्खास्त किया जाना चाहिए. भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने कहा कि नोट भेजना यह दर्शाता है कि संप्रग सरकार में गृह युद्ध जैसी स्थिति बन गई है.
एक कार्यक्रम में जेटली ने कहा, 'संप्रग सरकार के भीतर ही युद्ध छिड़ गया है. एक तरफ जहां लोगों के मन में उसके प्रति विश्वास कम हो गया है वहीं दूसरी तरफ मंत्रियों के बीच आपसी विश्वास में कमी आई है. गृह युद्ध जैसी स्थिति बन गई है.' उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी महज मूकदर्शक की भूमिका में बने हुए हैं.
जेटली ने इस मसले पर प्रणब मुखर्जी पर भी निशाना साधा. जेटली ने कहा कि मुखर्जी ने जब प्रधानमंत्री कार्यालय में नोट भेजा था, उस वक्त भी यह मामला अदालत के विचाराधीन था. एआईएडीएमके की महासचिव व तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता ने कहा कि 2जी मामले में चिदम्बरम की भूमिका स्पष्ट हो गई है. उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए नहीं तो प्रधानमंत्री को उन्हें अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर देना चाहिए.
माकपा ने इस मामले में चिदम्बरम की भूमिका की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग करते हुए एक बयान में कहा, 'वित्त मंत्रालय के पत्र से यह साफ पता चलता है कि यदि वित्त मंत्रालय अपने पुराने रुख पर कायम रहता तो लाइसेंस आवंटन को रद्द किया जा सकता था.' बयान में कहा गया, 'इन सभी सबूतों के आधार पर माकपा 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सीबीआई से चिदम्बरम की भूमिका की जांच कराने की मांग करती है.'
इस बीच, कांग्रेस व सरकार ने चिदम्बरम की भूमिका पर उठ रहे सवालों पर उनका खुलकर बचाव किया. कांग्रेस ने कहा कि यह पार्टी में दरार पैदा करने का शरारती प्रयास है. कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'पार्टी को उनकी सत्यनिष्ठा पर कोई शक नहीं है. यह मामला जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम ने सर्वोच्च न्यायालय में उठाया है, जो कि अदालत में विचाराधीन है.'
सिंघवी ने कहा, 'मामला अदालत में है और अदालत की कार्यवाही के पूरा होने का इंतजार किए बगैर डा. स्वामी या अन्य द्वारा इस मामले में एक निर्णय देने की कोशिश करना अनुचित और आपत्तिजनक है.' सूचना व प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने कहा, 'सरकार में कोई मतभेद नहीं है. इससे विपक्ष को ठेस पहुंचेगी, जिसने एक ऐसे मुद्दे को उठाया है जो मुद्दा ही नहीं है. सरकार में कोई लड़ाई नहीं है.'
उन्होंने कहा, 'केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा भेजा गया नोट नियमित प्रक्रिया का हिस्सा है. इसमें कोई नई बात नहीं है. नोट में कोई नया खुलासा नहीं है. सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई नियमित जानकारी है. इनमें वहीं सारी बाते हैं जो चिदम्बरम कहते आ रहे हैं.' केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा कि एक आपराधिक मामले में चिदम्बरम का नाम घसीटना उचित नहीं है.