2 जी स्पेक्ट्रम मामले की रिपोर्ट देने वाले नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) सोमवार को लोक लेखा समिति (पीएसी) के सामने पेश होंगे. कैग की रिपोर्ट में 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन में 1.76 लाख करोड़ रुपये का घाटा बताया गया है, जिसके चलते संसद के पूरे शीतकालीन सत्र में संसद की कार्यवाही बाधित रही.
भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के नेतृत्व वाली पीएसी 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन विवाद की जांच जारी रखेगी और संभावना व्यक्त की जा रही है कि कैग, विनोद राय समिति के सामने अपना मत रखेंगे.
कैग रिपोर्ट भाजपा और वाम दलों समेत पूरे विपक्ष के लिए सरकार को निशाना बनाने का एक हथियार साबित हुई है. विपक्ष का कहना है कि ‘स्वतंत्र भारत के इस सबसे बड़े घोटाले’ का सच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ही सबके सामने ला सकती है.
जेपीसी की इस मांग ने ही संसद में गतिरोध पैदा कर दिया है क्योंकि सरकार विपक्ष की इस मांग को सिरे से खारिज कर रही है.
सोमवार की यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने समिति के सामने पेश होने का प्रस्ताव दिया है, हालांकि इस बारे में अब तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं आई है कि प्रधानमंत्री ने इस बारे में कोई औपचारिक निवेदन किया है.{mospagebreak}
संसद की इस समिति की पिछली बैठक में राय को पेश होने के बारे में कहने का फैसला किया गया था. समिति ने 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में विचार और सुझाव भी मांगे हैं. लोकसभा सचिवालय ने एक अधिसूचना में कहा था, ‘इस विषय की अहमियत और इससे जुड़े राष्ट्रीय हितों को मद्देनजर रखते हुए समिति ने उन लोगों, विशेषज्ञों, संगठनों और संस्थानों से इस बारे में सुझाव और विचार मांगे हैं, जिनकी इस विषय में रुचि हो.’ कैग की रिपोर्ट के बाद ए राजा को दूरसंचार मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
समिति ‘2 जी और 3 जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले समेत दूरसंचार क्षेत्र में हालिया विकासक्रम’ का जून के बाद से निरीक्षण कर रही है और इसने अगले 15 दिन के भीतर लोगों से विचार मांगे हैं.
पीएसी ने डीओटी, वित्त मंत्रालय, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) और इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से भी जानकारी एकत्रित की है.
समिति की पिछली बैठक में समझा जा रहा है कि पूर्व दूरसंचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा ने समिति को बताया कि स्पेक्ट्रम आवंटन से जुड़े सभी फैसले राजा ही लेते थे और वह केवल आदेशों का पालन करते थे.