केन्द्रीय गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से फोन पर 2जी स्पेक्ट्रम आबंटन के बारे में वित्त मंत्रालय के नोट के बारे में बातचीत की. वित्त मंत्रालय के इस नोट में ऐसा लगता है कि चिदंबरम की भूमिका को लेकर सवाल खड़ा किया गया है.
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ फोन पर चिदंबरम की बातचीत करीब 20 मिनट चली और माना जाता है कि प्रधानमंत्री ने पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम की ईमानदारी पर पूरा भरोसा जताया और वह यह कहने के लिये भी तैयार हैं. सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री ने न्यूयार्क से 27 सितंबर को वापस स्वदेश लौटने तक चिदंबरम को धैर्य रखने की सलाह दी.
समझा जाता है कि प्रधानमंत्री ने चिदंबरम से कहा कि यह ‘गोपनीय’ नोट उन्हें नहीं दिखाया गया. उस समय चिदंबरम केन्द्र में वित्त मंत्री थे. 2जी स्पेक्ट्रम के आबंटन और मूल्य निर्धारण पर 25 मार्च, 2011 के दस्तावेजों में मोटे तौर पर यह सुझाव दिया गया है कि तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम चाहते तो पहले आओ पहले पाओ की नीति पर स्पेक्ट्रम का आबंटन रोका जा सकता था और मूल्यवान संसाधन की नीलामी कराई जा सकती थी.
वित्त मंत्रालय में उप निदेशक पीजीएस राव द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव विनी महाजन को लिखा गया यह नोट बुधवार को उच्चतम न्यायालय में पेश किया गया. नोट के साथ संलग्न पत्र में यह भी कहा गया है कि वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने इस नोट को देखा था.