केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मामले में यूनिटेक के प्रबंध निदेशक संजय चंद्रा सहित कई दूरसंचार कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों से पूछताछ की. इनमें से कुछ को तो पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा के समक्ष भी लाया गया.
सीबीआई का मुख्यालय किसी कापरेरट कार्यालय की तरह लग रहा था. लूप, एस.टेल, टाटा रीएल्टी और यूनीटेक सहित दूरसंचार क्षेत्र की कई कंपनियों के शीर्ष अधिकारी यहां पहुंचे हुये थे. सीबीआई ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले के सिलसिले में पूछताछ के लिये इन अधिकारियों को यहां बुलाया था.
सीबीआई ने इस मामले में दूरसंचार विभाग और निजी दूरसंचार कंपनियों के अनाम अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया हुआ है. वर्ष 2007-08 में स्पेक्ट्रम आवंटन में सरकारी खजाने को 22,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है. सबसे पहले लूप टेलिकॉम के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संदीप बसु से पूछताछ हुई. उनसे सीबीआई द्वारा जब्त कुछ कागजातों के बारे में पूछताछ की गई.
पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल में लूप टेलिकॉम को 21 सर्किलों के लिये लाईसेंस दिये गये थे. इसके बाद एस.टेल के मुख्य वित्तीय अधिकारी अरुण मंधाना और मुख्य नियमन अधिकारी राजीव सिक्का से पूछताछ की गई. इस कंपनी को सितंबर 2007 से जनवरी 2008 के बीच पांच सर्किलों के लिये लाईसेंस दिया गया.
टाटा रीएल्टी के प्रबंध निदेशक संजय पबले और किशोर सालातोर से भी सीबीआई ने टाटा टेलिसर्विसिज के वित्तपोषण के तौर तरीकों पर सवाल किये. यूनिटेक के प्रबंध निपदेशक से कई घंटे तक पूछताछ हुई. उनसे शेयर बेचने के बारे में ब्यौरा मांगा गया. सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर में स्वान टेलिकॉम के बाद यूनिटेक का नाम लिया गया है.