संसद के बजट सत्र के ठीक पहले कांग्रेस ने सोमवार को संकेत दिया कि वह 2.जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के खिलाफ नहीं है बशर्ते विपक्ष पहले चर्चा के लिए तैयार हो और ऐसी जांच के तौरतरीकों पर सहमत हो.
पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘लोकतांत्रिक संस्थाओं को चलने देना चाहिए. क्या कार्यप्रणाली हो. यह सरकार और विपक्ष को तय करना है.’ इसके पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी सहित शीर्ष नेतृत्व ने कोर समूह की बैठक में इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया था. तिवारी ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर संसद में चर्चा की लगागार मांग करती रही है.
उन्होंने कहा, ‘विपक्ष को चर्चा से भागना नहीं चाहिए. जेपीसी की मांग चर्चा से भागने का बहाना नहीं होना चाहिए.’ कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर कहा कि अगर संसद चलाने की कीमत जेपीसी है तो इसे होने दें. लेकिन अगर जेपीसी गठित की जाती है तो संसद में चर्चा के पहले ऐसा नहीं होना चाहिए.
सत्तारूढ़ पार्टी यह भी चाहती है कि एस.बैंड मुद्दे को ऐसी किसी जांच से बाहर रखा जाए. दल का दावा है कि यह ‘कोई घोटाला नहीं है.’
कांग्रेस इस पक्ष में है कि ऐसी किसी जांच में भाजना नीत राजग का कार्यकाल भी शामिल किया जाए. उसका दावा है कि मुख्य विपक्ष को कई सवालों का जवाब देना होगा. सत्तारूढ़ दल सीबीआई द्वारा राजग के कार्यकाल में दूरसंचार मंत्री रहे अरूण शौरी को समन किए जाने का जिक्र कर रहा है. सत्तारूढ़ खेमे का मानना है कि जेपीसी पर सहमति होने के बाद भी विपक्ष का एक धड़ा संसद में व्यवधान पैदा कर सकता है.
इस बीच गतिरोध दूर करने के लिए वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी विभिन्न दलों के नेताओं की एक और बैठक बुला सकते हैं.