सीबीआई ने 2जी घोटाले के सिलसिले में आज पूर्व दूरसंचार मंत्री अरुण शौरी से पूछताछ की. पूछताछ के दौरान शौरी ने कहा कि 2005 में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन ने कुछ ऑपरेटरों को फायदा पहुंचाने के लिए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के दिशा निर्देशों का उल्लंघन किया.
करीब तीन घंटे हुई पूछताछ के बाद शौरी ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने अधिकारियों के सामने कथित अनियमितताओं के कई ऐसे उदाहरण पेश किए जो ए. राजा द्वारा दूरसंचार मंत्री का पद संभालने से पहले मारन के कार्यकाल में हुए.
शौरी ने कहा ‘मारन मंत्री थे. राजा पर किस बात का आरोप है? स्पेक्ट्रम के बगैर ये 122 लाइसेंस देना, जब सरकार के पास स्पेक्ट्रम था ही नहीं. लेकिन यह तो मारन के वक्त हुआ कि दिशानिर्देश में एक पंक्ति यह डाल दी गयी कि किसी एक सर्किल में ऑपरेटरों की संख्या पर कोई पाबंदी नहीं होगी.’ {mospagebreak}
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ऐसे बदलाव सिर्फ ट्राई की सिफारिशों के रूप में आ सकते हैं. शौरी राजग के शासन काल में जनवरी 2003 से मई 2004 के बीच दूरसंचार मंत्री थे. सीबीआई के मुताबिक पहले आओ पहले पाओ के आधार पर करीब 50 लाइसेंस दिए गए तथा भारती, वोडाफोन और आइडिया इस नीति से लाभ पाने वालों में शामिल थे.
शौरी ने कहा, ‘मुझे वर्ष 2003 में मंत्रालय दिया गया. वर्ष 2001 के दिशानिर्देशों के मुताबिक पहले आओ पहले पाओ की नीति काफी स्पष्ट थी. इस सरकार के सभी तर्क बेतुका हैं.’ पूर्व दूरसंचार मंत्री शिवराज पाटिल समिति की रिपोर्ट पर भी बरसे और कहा कि ये लोग खुद ही दस्तावेजों को नहीं देख सकते. उन्होंने कहा कि सरकार वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटका रही है.
उन्होंने कहा, ‘मीडिया जहां उद्योगपतियों और कारपोरेट के सीबीआई के पास आने की खबरों को कवर कर रही है वहीं प्रधानमंत्री का कहीं नाम नहीं है, एम करूणानिधि का कहीं नाम नहीं है. कांग्रेस के अन्य सदस्यों का नाम भी नहीं आ रहा.’ बहरहाल शौरी ने सीबीआई की प्रशंसा करते हुए कहा कि अगर इसे स्वतंत्र छोड़ दिया जाए तो यह सक्षम संगठन है. पूर्व दूरसंचार मंत्री ने कहा कि वह जांच एजेंसी को हरसंभव मदद और उनकी जानकारी में आए सभी सवालों का जवाब और अपने पास रिकॉडरें को देने के लिए सीबीआई मुख्यालय आए हैं. {mospagebreak}
शौरी ने कहा कि उन्होंने मामले के तथ्यों को सीबीआई के समक्ष रखा और घोटाले के बारे में सारी जानकारी देने वाले व्यक्ति को एजेंसी से मिलवाया. शौरी ने कहा, ‘मेरी सूचना के मुताबिक उन्होंने निश्चित तौर पर उस व्यक्ति से मुलाकात की.
उन्होंने उसके साथ कई बैठकें कीं और उस आधार पर काम किया. इसलिए जब अदालत ने मामले को हाथ में लिया, जब सीएजी की रिपोर्ट आई तो सीबीआई तेजी से काम करने में सक्षम हो सकी. क्योंकि इसके पास लोगों के नाम, उनके नंबर जैसी सभी विस्तृत जानकारियां थीं.’ जब गठबंधन राजनीति पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान के बारे में पूछा गया तो शौरी ने कहा, ‘अब राजा जेल में हैं तो क्या गठबंधन पर कोई असर पड़ा है. द्रमुक की बाध्यताओं को क्यों नहीं देखते ? वे केंद्र सरकार के खिलाफ नहीं जा सकते. उनकी बाध्यताओं को भी देखें.’