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जानिए 2G घोटाले को उजागर करने वाले विनोद राय क्यों है कांग्रेस के निशाने पर

विनोद राय ही वो शख्स थे, जिन्होंने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अध्यक्ष पद पर रहते हुए 2G घोटाले को उजागर किया था. इसके तहत विनोद राय ने देश का 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये के घोटाले को पकड़ा था.

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CAG के पूर्व चीफ विनोद राय
CAG के पूर्व चीफ विनोद राय

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देश का सबसे बड़ा घोटाला माने जा रहे टू-जी स्पेक्ट्रम केस में कोर्ट ने ए राजा और कनिमोझी सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. इस फैसले आने के बाद एक बार फिर से विनोद राय चर्चा में हैं. वो कांग्रेस के निशाने पर हैं. कांग्रेस नेता विनोद राय से माफी मांगने की बात कह रहे हैं. आप बताते हैं कि आखिर विनोद राय कांग्रेस के निशाने पर क्यों हैं.

दरअसल साल 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन किया गया. इस आवंटन पर 2010 में पहली बार सवाल तब उठा जब देश के महालेखाकार और नियंत्रक (सीएजी) ने अपनी एक रिपोर्ट में इस स्पेक्ट्रम आवंटन से केन्द्र सरकार के खजाने को नुकसान पहुंचने की बात कही गई. विनोद राय ही वो शख्स थे, जिन्होंने नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अध्यक्ष पद पर रहते हुए 2G घोटाले को उजागर किया था. इसके तहत विनोद राय ने देश का 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये के घोटाले को पकड़ा था.

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2G मामले में गुरुवार को आए फैसले के बाद विनोद राय कांग्रेस के निशाने पर हैं. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल से लेकर मनीष तिवारी तक ने विनोद राय को आड़े हाथों लिया. कपिल सिब्बल ने कहा कि बीजेपी और सीएजी के चीफ रहे विनोद कुमार की वजह से टेलीकाम सेक्टर से लेकर देश की अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान हुआ है. बड़ी-बड़ी कंपनियां कर्ज में डूब गईं. बैंकों का एनपीए बढ़ गया. पीएम को अब इस मुद्दे पर बोलना बंद कर देना चाहिए. बीजेपी और विनोद राय को देश से मांफी मांगनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने बदनाम किया है.

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, सीएजी के पूर्व चीफ रहे विनोद राय को देश से माफी मांगनी चाहिए. उन्होंने सार्वजनिक रूप से बेबुनियाद आरोप लगाते थे, जिसे आज कोर्ट ने निराधार साबित कर दिया है. राय ने 1लाख 76 हजार करोड़ की जो थ्योरी गढ़ी थी उसे मैने जेपीसी में ध्वस्त कर दिया था, आज कोर्ट ने उस पर मुहर लगाई है.

बता दें कि विनोद राय 2013 में सीएजी पद से रिटायर हुए थे. सुप्रीम कोर्ट ने बाद में उन्हें बीसीसीआई की प्रशासक समिति (सीओए) का प्रमुख नियुक्त किया. उनका जन्म 23 मई 1948 को हुआ. वे दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दू कॉलेज से अर्थशास्त्र में एमए हैं. उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर किया है.

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विनोद राय भारत के 11वें नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) के अध्यक्ष पद पर रहे. उन्होंने जनवरी 2008 में इस पद को संभाला और मई 2013 तक इस पद पर रहे. इसी दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में हुए लाखों करोड़ रुपये के टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले और कोयला घोटाले का सनसनीखेज खुलासा किया था. इसके बाद विनोद राय चर्चा में आए थे.

विनोद राय 1972 बैच के केरला कैडर के आईएएस अधिकारी हैं. उन्होंने थ्रिसूर जिले में सब-कलेक्टर के तौर पर अपना करियर शुरू किया. बाद में वो कलेक्टर बने और थ्रिसूर जिले में आठ साल बिताए. बाद में विनोद राय 1977 से 1980 के बीच केरल राज्य को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन के एमडी रहे. इसके बाद उन्हें केरल राज्य का मुख्य सचिव (वित्त) नियुक्त किया गया. इसके बाद वो कई और अहम पदों पर काम करते हुए सीएजी के पद तक पहुंचे. फरवरी 2016 में विनोद राय को बैंक बोर्ड ब्यूरो का चेयरमैन बनाया गया. ये पब्लिक सेक्टर्स के बैंकों में उच्च स्तर पर नियुक्तियों को लेकर सरकार को अपनी सलाह देते हैं. विनोद राय को मार्च 2016 में पद्म भूषण अवॉर्ड से नवाजा गया.

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