नारायणपुर जिले में पिछले दिनों अचानक हुए हमले का सामना करते हुए सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स के जवानों ने कई नक्सलियों को भी मौत के घाट उतार दिया था. खुद नक्सलियों ने अपने दो प्लाटून कमांडर और एक सेक्शन कमांडर के मारे जाने की बात कुबूल की है.
भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रवक्ता गुडूसा उसेण्डी के दस्तख्त से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में मारे जाने वाले नक्सलियों के नाम बण्डू, शंकर (दोनो प्लाटून कमांडर) और रमेश (सेक्शन कमांडर) बताए हैं. इन तीनों को बस्तर का रहने वाला बताया गया है.
नारायणपुर जिले में धौड़ाई के पास झाराघाटी में 29 जून को दोपहर करीब एक बजे हुए इस हमले में नक्सलियों के हाथों सीआरपीएफ के तीन अधिकारियों सहित 27 जवान शहीद हो गए थे. विज्ञप्ति के अनुसार यह हमला ‘आपरेशन ग्रीन हंट के तहत सीआरपीएफ, कोबरा, राज्य पुलिस और एसपीओ द्वारा लगातार जारी आतंक’ के खिलाफ किया गया था.
उसेण्डी ने दावा किया कि चार घंटों की इस मुठभेड़ में नक्सलियों ने सीआरपीएफ के 23 अत्याधुनिक हथियार और फौजी साजोसामान छीना, जिनमें आठ इंसास राइफल, तीन एसएलआर, दो दोइंची मोर्टार और दो एलएमजी शामिल हैं. नक्सलियों ने इस विज्ञप्ति में आपरेशन ग्रीन हंट को बंद करने और आदिवासी इलाकों से सारे अर्धसैनिक बलों को वापस बुलाने और सेना को उनके खिलाफ उतारने की कोशिशें बंद करने को कहा है.
संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृहमंत्री पी चिदंबरम के साथ ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमनसिंह पर निशाना साधते हुए नक्सलियों ने इस विज्ञप्ति में यह भी लिखा है, ‘भोपाल गैस कांड के लिए जिम्मेदार वारेन एंडरसन जैसे कातिलों को देश से सुरक्षित निकल जाने का मौका देकर, बाकी अपराधियों को 26 वर्ष के आपराधिक विलंब के बाद नाम मात्र की सजा देने वाली इस व्यवस्था को देश के आदिवासी और शोषित तबके बहुत बड़े दुश्मन नजर आ रहे हैं.’