ये बच्चा जो मासूम सी आंखें लिए झांक रहा है नीचे, ये इसकी आखिरी फोटो है. अब्बू के मोबाइल फोन के स्क्रीनसेवर पर लगी. ये 3 साल का बुरहान है. अभी चार महीने पहले ही तो इसने स्कूल जाना शुरू किया था. अम्मी-अब्बू ने अभी तो इसे नया स्कूल बैग, नई यूनिफॉर्म और लंच बॉक्स दिलाया था. अभी तो वह अपने अब्बू की गोद में बैठा खेल ही रहा था. लेकिन तभी अचानक दो हथियारबंद लोग घर में घुस आए. ग्रेनेड फेंका, पर नहीं फटा तो फायरिंग करने लगे. बुरहान और उसके अब्बू दोनों मारे गए.
घटना जम्मू-कश्मीर के सोपोर में शुक्रवार देर रात की है. बुरहान का पिता बशीर अहमद कभी आतंकी हुआ करता था. लेकिन 15 साल हो गए थे, उसने बंदूक को हाथ नहीं लगाया था. बारामूला में फल बेचकर नई जिंदगी को पटरी पर ले आया था. अब घर में उसकी बीवी और दो बच्चे रह गए हैं.
अस्पताल में तोड़ा दम
बशीर की अस्पताल पहुंचने से पहले पर ही मौत हो गई. रातभर डॉक्टर बुरहान की जिंदगी बचाने में जुटे रहे. पर हार गए. शनिवार सुबह बुरहान ने भी दम तोड़ दिया.
5 महीने, 8 मौत
मई से अब तक अकेले सोपोर इलाके में ही इस तरह अचानक घरों में घुसकर किए गए हमलों में 8 लोग मारे जा चुके हैं. बुरहान सबसे छोटा था.
ये आतंक का असली चेहरा है
जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा कि यह जिहादी आतंक का असली चेहरा है, जो दावा करते हैं कि वे कश्मीर के लोगों के लिए जिहाद कर रहे हैं. वो बच्चों और बेगुनाहों को मारते हैं. महिलाओं की हत्या करते हैं.