लंबे समय के गतिरोध और संसद का एक सत्र गंवाने के बाद 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन में हुई कथित अनियमितताओं की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन को लोकसभा ने गुरुवार को अपनी मंजूरी दे दी.
नेता सदन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा इस संबंध में पेश प्रस्ताव को निचले सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया. शीतकालीन सत्र में उत्पन्न गतिरोध और कई महीनों के विपक्ष के दबाव के बाद जेपीसी गठन के लिए राजी हुई सरकार की ओर से मुखर्जी ने ऐलान किया कि जेपीसी में 30 सदस्य होंगे.
लोकसभा से जेपीसी में शामिल 20 सदस्यों में से सबसे अधिक आठ सदस्य कांग्रेस के और भाजपा के चार सदस्य शामिल हैं. जेपीसी के अध्यक्ष के नाम का निर्णय बाद में लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार करेंगी. अध्यक्ष नामित सदस्यों में से ही होगा. जेपीसी से अपनी रिपोर्ट मानसून सत्र के संपन्न होने से पहले सदन में पेश करने की अपेक्षा की जा रही है. {mospagebreak}
जेपीसी प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रणव और विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के बीच जमकर तकरार भी हुई. दोनों ने एक दूसरे पर सौहार्दपूर्ण बातचीत के जरिए मामला सुलझाए जाने की बजाय टकराव का रास्ता अपनाने और संसद का बेशकीमती वक्त जाया करने का आरोप लगाया.
मुखर्जी ने कहा कि मुद्दे आगे भी सामने आएंगे लेकिन सवाल यह है कि इस प्रकार 20, 50 या 200 सांसदों द्वारा संसद को बंधक बनाने का औचित्य क्या है. उन्होंने विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि संसद को ठप करना संसदीय लोकतंत्र को मजबूत बनाना नहीं है. विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने मुखर्जी के आरोपों का कड़ा प्रतिवाद करते हुए कहा कि संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर विपक्ष ने नहीं बल्कि सरकार ने किया.
मुखर्जी ने बताया कि जेपीसी में कांग्रेस के पीसी चाको, जय प्रकाश अग्रवाल, मनीष तिवारी, दीपेन्दर सिंह हूडा, वी किशोर चंद्र देव, पबन सिंह घटोवार, निर्मल खत्री, अधीर रंजन चौधरी, भाजपा के जसवंत सिंह, यशवंत सिन्हा, हरिन पाठक, गोपीनाथ मुंडे, द्रमुक के टी आर बालू, तृणमूल के कल्याण बनर्जी, जद यू के शरद यादव, बसपा के दारा सिंह चौहान, सपा के अखिलेश यादव, भाकपा के गुरूदास दासगुपता, बीजद के अर्जुन चरण सेठी और अन्नाद्रमुक के एम थंबी दुरै शामिल हैं. {mospagebreak}
प्रस्ताव में कहा गया कि जेपीसी 1998 से 2009 के बीच दूरसंचार लाइसेंसों और स्पेक्ट्रम के आवंटन और मूल्यों को लेकर विभिन्न सरकार द्वारा लिये गये नीतिगत फैसलों और उनके कार्यान्वयन, इस संबंध में कैबिनेट के फैसलों और उनके प्रभाव का आकलन करेगी.
मुखर्जी ने बताया कि जेपीसी अनियमितताओं के साथ साथ 1998 से 2009 के बीच लिये गये ऐसे सरकारी फैसलों के कार्यान्वयन के परिणामों, यदि कोई हैं, की जांच करेगी. जेपीसी दूरसंचार लाइसेंस के आवंटन और मूल्य से जुडी नीतियों के कार्यान्वयन के उचित नियम बनाने के बारे में सिफारिशें भी देगी.
मुखर्जी ने कहा कि जेपीसी के औपचारिक गठन के दिन से ही यह काम करना शुरू कर देगी. समिति को सरकार और अन्य एजेंसियों से पूरी मदद मुहैया करायी जाएगी. जेपीसी की बैठक में कुल सदस्यों के कम से कम एक तिहाई सदस्यों की मौजूदगी आवश्यक होगी.