'अशोक विजय दशमी' के मौके पर अहमदाबाद और वड़ोदरा में 300 से अधिक दलितों ने बौद्ध धर्म अपना लिया. समझा जाता है कि इसी दिन मौर्य शासक सम्राट अशोक ने अहिंसा का संकल्प लिया था और बौद्ध धर्म अपना लिया था. गुजरात बौद्ध एकेडमी के सचिव रमेश बांकर ने बताया कि संगठन की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में करीब 200 दलितों ने बौद्ध धर्म में दीक्षा ली. इन दलितों में 50 महिलाएं भी शामिल हैं. बांकर ने बताया कि कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) के बौद्ध धर्म के प्रमुख ने दीक्षा दी है.
बता दें कि भगवान बुद्ध ने परिनिर्वाण प्राप्त करने के लिए कुशीनगर में ही अपने शरीर का त्याग किया था. कार्यक्रम के संयोजक मधुसूदन रोहित ने बताया कि वड़ोदरा में एक कार्यक्रम में 100 से अधिक दलितों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली और पोरबंदर के एक बौद्ध भिक्षु ने उन्हें दीक्षा दी. बीएसपी के क्षेत्रीय समन्वयक रोहित ने बताया कि इस कार्यक्रम के पीछे कोई खास संगठन नहीं था और 100 से अधिक लोगों ने स्वैच्छिक रूप से धर्मांतरण किया है.
रोहित ने बताया कि हमने धर्मांतरण के लिए संकल्प भूमि (वड़ोदरा में) को चुना, क्योंकि बाबासाहेब अंबेडकर ने छुआछूत के खिलाफ अपनी लड़ाई शुरू करने की खातिर अपनी नौकरी और शहर छोड़ने से पहले यहीं पर पांच घंटे बिताए थे. उन्होंने कहा कि अशोक विजय दशमी उनके लिए इसलिए अहम है कि इसी दिन अंबेडकर ने 1956 में नागपुर में लाखों लोगों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था. अंबेडकर ने विजय दशमी का दिन इसलिए चुना कि इसी दिन सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी.