रेलमंत्रालय के द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 2016 में देशभर में पटरी से ट्रेन उतरने की घटनाओं में 33 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जबकि ट्रेनों के आपस में टकराने की घटनाएं पिछले साल के मुकाबले दोगुनी हुई
है. वहीं 1 अप्रैल 2015 से लेकर दिसंबर 2015 तक देशभर में ट्रेनों की आपसी टक्कर की वजह से दो हादसे हुए थे लेकिन इस साल 1 अप्रैल 2016 से लेकर दिसंबर 2016 तक ऐसे जा ट्रेन हादसे हो चुके हैं. रेलवे बोर्ड के मेंबर
ट्रैफिक मोहम्मद जमशेद के मुताबिक इस साल अब तक हुई रेल दुर्घटनाएं पिछले साल के मुकाबला तकरीबन बराबर है.
1 अप्रैल 2015 से लेकर दिसंबर 2015 तक पूरे देश में 88 रेल हादसे हुए थे लेकिन इस बार 1 अप्रैल 2016 से लेकर दिसंबर 2016 तक 87 रेल हादसे हुए हैं. मेंबर ट्रैफिक के मुताबिक चिंता की बात है इस साल ट्रेनों के पटरियों से उतरने की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. पिछले साल जहां दिसंबर तक 51 रेल हादसे ऐसे हुए थे जिनमें हादसों की वजह ट्रेन का पटरी से उतरना था लेकिन इस साल अप्रैल से लेकर दिसंबर तक ऐसे हादसों की संख्या 68 रही है यानी पिछले साल के मुकाबले इस बार ट्रेन के पटरी से उतरने की घटनाओं में 33 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
इस साल हुई रेल दुर्घटनाओं के अगर कारणों को देखें तो 87 रेल हादसों में से 32 रेल हादसों की वजह इंजीनियरिंग रही है, 5 रेल हादसे ऐसे हुए हैं जिनके पीछे इलेक्ट्रिकल कारण रहे हैं तो वहीं मैकेनिकल फेलियर की वजह से सात रेल हादसे हुए. ट्रैफिक कारणों की वजह से सिर्फ चार रेल हादसे हुए. तो वहीं सिग्नलिंग और टेलीकम्युनिकेशन में चूक की वजह से महज दो हादसे हुए, अराजक तत्वों और उग्रवादी तत्वों के द्वारा की गई हरकतों की वजह से इस साल महज दो रेल हादसे हुए. इन आंकड़ों को देखते हुए यह सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि रेल हादसों के पीछे सबसे बड़ी जिम्मेदारी रेलवे के अलग-अलग विभागों द्वारा बढ़ती जा रही कोताही है.
रेलवे बोर्ड के मेंबर ट्रैफिक मोहम्मद जमशेद का कहना है कि रेलवे इन हादसों को बड़ी गंभीरता से ले रही है. इन सभी हादसों की वजह को जानकर रेलवे इन को पूरी तरह से खत्म करने की दिशा में काम करेगी, मोहम्मद जमशेद का कहना है कि पिछले महीने हुए पुखरायां रेल हादसे के बाद बनी टास्क फोर्स की रिपोर्ट अगले दो-तीन दिनों में आ जाएगी. इस रिपोर्ट में रेल हादसों को कैसे रोका जाए उसके लिए तमाम सुझाव सामने आएंगे जिन पर गंभीरता से अमल किया जाएगा.