मध्य प्रदेश में लोकायुक्त पुलिस और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने भ्रष्टाचार की शिकायतों के मद्देनजर पिछले दो साल में 67 सरकारी कारिंदों के ठिकानों पर छापे मारकर करीब 348 करोड़ रुपये की काली कमाई जब्त की. सरकारी आंकड़ों से मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है, जिसे लेकर विपक्ष ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर हमले तेज कर दिये हैं.
इन कारिंदों में चपरासी, क्लर्क, अकाउन्टेन्ट और पटवारी से लेकर भारतीय प्रशासनिक सेवा के बड़े अफसर शामिल हैं.
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इंदौर के क्षेत्र क्रमांक-1 के भाजपा विधायक सुदर्शन गुप्ता के विधानसभा में उठाये गये सवाल पर यह जानकारी दी थी.
गुप्ता ने मुख्यमंत्री के हालिया जवाब के हवाले से बताया कि प्रदेश में पिछले दो साल के दौरान लोकायुक्त पुलिस ने 52 सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के ठिकानों पर छापे मारे. वहीं ईओडब्ल्यू ने 15 अधिकारियों और कर्मचारियों के ठिकानों पर छापेमारी की.
उन्होंने सरकारी आंकड़ों के आधार पर बताया कि दोनों जांच एजेंसियों के छापों में इन 67 सरकारी कारिंदों के ठिकानों से करीब 348 करोड़ रुपये की रकम जब्त की गयी.
भाजपा विधायक गुप्ता ने पूछा कि प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे इन कारिंदों के खिलाफ क्या कार्रवाई कर रही है तो मुख्यमंत्री ने बताया कि शासन के निर्देश हैं कि लोकायुक्त संगठन और ईओडब्ल्यू के छापों के बाद संबंधित लोक सेवक को मैदानी तैनाती (फील्ड पोस्टिंग) से हटाकर कहीं और स्थानांतरित किया जाये या महत्वपूर्ण दायित्वों से मुक्त किया जाये.
उधर, प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की मानें तो लोकायुक्त पुलिस और ईओडब्ल्यू की कार्रवाई से ‘बड़े मगरमच्छ’ अब भी बचे हुए हैं. प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने कहा, ‘सूबे में क्लर्क और पटवारी जैसे अदने कर्मचारियों के ठिकानों पर इन जांच एजेंसियों के छापों में करोड़ों रुपये की मिल्कियत उजागर हो रही है. इससे बड़े नौकरशाहों और मंत्रियों की काली कमाई का अंदाजा लगाया जा सकता है.’
उन्होंने दावा किया, ‘वर्ष 2013 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश की भाजपा सरकार के इशारे पर छोटे कर्मचारियों के ठिकानों पर लगातार छापेमारी की जा रही है, ताकि बड़े अधिकारियों में भय का माहौल बनाया जा सके और उनसे मोटा चुनावी चंदा वसूल किया जा सके.’