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कालका हादसा: दुर्घटनास्थल पर मची चीख-पुकार

हावड़ा से दिल्ली आ रही कालका मेल के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के बाद घटनास्थल पर चारों ओर चीख-पुकार मची थी. क्षतिग्रस्त डिब्बे में फंसे यात्री मदद की गुहार लगा रहे थे, जबकि यात्रियों के सामान चारों ओर बिखरे पड़े थे. ट्रेन के क्षतिग्रस्त डिब्बे से बाहर निकलने को व्याकुल कुछ यात्रियों को खिड़कियों के शीशे तोड़ते देखा गया.

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हावड़ा से दिल्ली आ रही कालका मेल के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के बाद घटनास्थल पर चारों ओर चीख-पुकार मची थी. क्षतिग्रस्त डिब्बे में फंसे यात्री मदद की गुहार लगा रहे थे, जबकि यात्रियों के सामान चारों ओर बिखरे पड़े थे. ट्रेन के क्षतिग्रस्त डिब्बे से बाहर निकलने को व्याकुल कुछ यात्रियों को खिड़कियों के शीशे तोड़ते देखा गया.

दुर्घटना में कुल 24 डिब्बे में से 15 डिब्बे पटरी से उतर गए, जिनमें से 10 डिब्बे को अधिक नुकसान पहुंचा है. क्षतिग्रस्त डिब्बे में छह वातानुकूलित हैं. एक एसी3 डिब्बा पलट गया, जबकि एक अन्य डिब्बा इसके उपर चढ़ गया है क्योंकि ट्रेन की गति 108 किलोमीटर प्रति घंटा थी. दो वातानुकूलित डिब्बों की बीच इतनी जबरदस्त टक्कर हुई कि वे सीधे खड़े हो गए.

दुर्घटना दोपहर के 12 बजकर 20 मिनट पर हुई, जब हावड़ा से आ रही यह ट्रेन मालवा स्टेशन पर पहुंची, जो लखनऊ से करीब 120 किलोमीटर दूर है.

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कुछ घायल यात्रियों को स्तब्ध हालत में ट्रेन से बाहर निकालते देखा गया. उनके कपड़े फटे हुए थे और पूरे शरीर पर घाव थे. उन्होंने टीवी चैनलों की मदद से अपने परिवार के सदस्यों से मदद की अपील भी की.

हावड़ा के रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि ऐसा लगता है कि जब ट्रेन की रफ्तार बहुत अधिक थी, तब चालक ने ब्रेक लगाने की कोशिश की.

उन्होंने बताया कि ट्रेन अपने अधिकतम रफ्तार में थी. अचानक हमने एक जोरदार धमाका सुना और हमे नहीं मालूम कि उसके बाद क्या हुआ? कुछ ग्रामीणों ने मुझे और कुछ अन्य लोगों को डिब्बे से बाहर निकाला.

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि जबरदस्त आवाज सुनकर वे अपने घरों से बाहर निकल आए और जितने लोगों को वे ट्रेन से बाहर निकाल सकते थे, उन्हें निकाला.

ग्रामीण अपने घरों से पानी भी लाये, जिसे घायलों को पिलाया गया. अनूप पटेल नाम के एक स्थानीय निवासी ने बताया कि ग्रामीणों ने घटनास्थल पर बचावकर्मियों के आने का इंतजार नहीं किया और यात्रियों की मदद करनी शुरू कर दी. उन्होंने बताया कि मैंने खुद ही तीन लोगों को ट्रेन से बाहर निकाला, वे मदद के लिए चिल्ला रहे थे.

अपने परिवार के सात सदस्यों के साथ कोलकाता से चंडीगढ़ जा रही दीपाली चौहान ने बताया कि ट्रेन काफी तेज रफ्तार से चल रही थी, तभी उन्होंने जबरदस्त धमाका सुना.

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उन्होंने बताया कि सबकुछ पलक झपके ही हो गया. बहुत जबरदस्त विस्फोट हुआ. मैं सबसे ऊपर की सीट पर लेटी हुई थी और नीचे गिर गई. मेरे एक रिश्तेदार के सिर में गंभीर चोट लगी है. मेरी मां और बच्चों को भी चोट लगी है. दीपाली के हाथ और पैर पर पट्टियां बंधी हुई है.

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