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मुजफ्फरनगर में सुधर नहीं रहे हालात, पथराव में 4 पुलिसकर्मी जख्‍मी

यूपी के मुजफ्फरनगर जिले में लगातार उकसावे की घटनाएं सामने आ रही है, जिससे वहां भाईचारे का माहौल नहीं बन पा रहा है. ताजा घटना कटुबा इलाके की है, जहां सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में एक शख्‍स को गिरफ्तार करने गई पुलिस पर ग्रामीणों ने पथराव कर दिया. पथराव से 4 पुलिसकर्मी घायल हो गए.

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फाइल फोटो: मुजफ्फरनगर में गश्‍त लगाते सुरक्षाकर्मी
फाइल फोटो: मुजफ्फरनगर में गश्‍त लगाते सुरक्षाकर्मी

यूपी के मुजफ्फरनगर जिले में लगातार उकसावे की घटनाएं सामने आ रही है, जिससे वहां भाईचारे का माहौल नहीं बन पा रहा है. ताजा घटना कटुबा इलाके की है, जहां सांप्रदायिक हिंसा के सिलसिले में एक शख्‍स को गिरफ्तार करने गई पुलिस पर ग्रामीणों ने पथराव कर दिया. पथराव से 4 पुलिसकर्मी घायल हो गए.

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वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एचएन सिंह ने बताया कि सितंबर की शुरुआत में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी. उसी सिलसिले में पुलिस एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने पहुंची थी. भीड़ उसकी गिरफ्तारी का विरोध कर रही थी. भीड़ ने 3 पुलिस वाहनों को भी नुकसान पहुंचाया.

इस गांव में आठ सितंबर को हिंसा में एक महिला समेत आठ लोग मारे गए थे. इनके घर भी जला दिए गए थे. तब से आरोपी फरार चल रहे थे और पुलिस दंगाइयों को गिरफ्तार करने के लिए ढूंढने में जुटी थी.

ताजा घटना में ग्रामीणों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इसी बीच जिला प्रशासन ने यहां लागू निषेधाज्ञा को तत्काल प्रभाव से 15 जनवरी तक बढ़ा दिया है. अतिरिक्त जिलाधिकारी इंदरमणि त्रिपाठी ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए धारा-144 को बढ़ा दिया गया है.

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गन्‍ने की फसल में लगाई आग
एक दूसरी घटना में मुजफ्फरनगर जिले के पूरबलियान गांव में अज्ञात लोगों ने पांच किसानों की गन्ना की फसलें जला दीं. पुलिस ने बताया कि गुरुवार को 30 बीघा क्षेत्र में गन्ना की फसलें जला दी गईं.

शाहपुर थाना क्षेत्र के दंगा प्रभावित पूरबलियान गांव के मोहम्मद, अलीजान, फारुक, आजाद और इरफान नाम के किसानों ने अज्ञात बदमाशों के खिलाफ शिकायत दर्ज करके आरोप लगाया कि उनकी फसलें जला दी गई हैं. इससे पहले इसी सप्ताह बुढ़ाना इलाके में ताजा हिंसा मे 3 लोग मारे गए थे.

60 से ज्‍यादा लोगों की जा चुकी है जान
गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर जिले में सितंबर में सांप्रदायिक हिंसा में 60 से अधिक लोग मारे गए थे. दंगों के बाद कई लोग अस्‍थायी शिविरों में गुजर-बसर करने को मजबूर हैं और डर से अपने घर लौटने को तैयार नहीं हैं. दंगे के बाद बेघर हुए लोगों की तादाद करीब 40 हजार है.

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