हिमाचल प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नरिंदर चौहान ने मंगलवार को कहा कि राज्य में चार नवंबर के मतदान और 20 दिसंबर को होने वाली मतगणना के बीच 46 दिनों के फासले की वजह से इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की सुरक्षा पर चार करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ है.
चौहान ने कहा कि चुनाव पर कुल करीब 10 करोड़ रुपये खर्च हुए. उन्होंने कहा, ‘स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव तथा ईवीएमों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 42 हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए जबकि मतगणना के दिन चार हजार लोग काम पर लगाए गए हैं.’
उन्होंने कहा, ‘भारी हिमपात की वजह से अलग थलग पड़ गए लाहौल स्पीति से इवीएम पहले ही कुल्लू जिले में भेज दी गयी हैं लेकिन 11 डाक मत लाहौल घाटी से नहीं लाया जा सका क्योंकि कुल्लू को लाहौल एवं स्पीति से जोड़ने वाला रोहतांग दर्रा बंद कर दिया गया. चुनाव आयोग को इसकी जानकारी दे दी गयी है.’
चौहान ने कहा कि इन मतों की गणना विशेष समिति एवं पर्यवेक्षकों की निगरानी उदयपुर मे होगी. इन ग्यारह डाकमतों को हेलीकॉप्टर से कुल्लू लाने पर करीब छह लाख रुपये का खर्च आएगा जो व्यावहारिक विकल्प नहीं है.