राष्ट्रीय राजधानी की एक त्वरित निपटान अदालत ने नाबालिग लड़की से बलपूर्वक विवाह करने और अवैध रूप से रोके रखकर दो महीने से अधिक समय तक उससे बलात्कार करने के जुर्म में एक व्यक्ति को 10 वषरे की सजा सुनाई.
इस मामले को ‘नाबालिग लड़की की बेहद परेशान करने वाली गाथा’ करार देते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने हरियाणा निवासी 30 वर्षीय रामपाल को दोषी करार दिया जिसने लड़की को 55 हजार रूपये में खरीदा था. अदालत ने प्लेसमेंट एजेंसी से लड़की को घरेलू काम करने के संदर्भ में खरीदने वाले दंपति को भी सात साल कारावास की सजा सुनाई है जबकि उस व्यक्ति को तीन वर्ष कारावास की सजा सुनाई गई जिसने रामपाल को लड़की सौंपी थी.
अदालत ने सीबीआई अभियोजक संजय कुमार की यह दलील स्वीकार कर ली जिसमें कहा गया था कि दंपति के बैंक खातों में भारी रकम मिली जो अवैध ढंग से नाबालिग लड़कियों को बेच कर जमा की गयी थी क्योंकि उनके पास आय का कोई अन्य वैध स्रोत नहीं पाया गया.
यह मामला जनवरी से मई 2010 के बीच का है जिसमें बिहार के रहने वाले सुनील और झल्की ने बाहरी दिल्ली में घरेलू काम के लिए दो महिलाओं को रखने के संदर्भ में सम्पर्क किया था. प्लेसमेंट एजेंसी से वे इन लड़कियों को पश्चित दिल्ली में अपने घर ले गए. काम के दौरान ही इन लड़कियों को संदेह हुआ कि यह दंपति मानव तस्करी में शामिल हैं और उन्होंने प्लेसमेंट एजेंसी को सूचित करने का निर्णय किया लेकिन उन्हें फोन करने की अनुमति नहीं दी गई.
एक दिन दंपति ने पीड़िता को साथ चलने के लिये कहा. लेकिन जब वे उस लड़की के बिना घर लौटे तब दूसरी लड़की ने उसके बारे में जानना चाहा. उसे बताया गया कि उस लड़की (पीड़िता) को दूसरे स्थान पर काम करने भेजा गया है. इस बीच, दूसरी लड़की बचकर निकलने में कामयाब रही है और उसने प्लेसमेंट एजेंसी के मालिक से सारी बातें बतायी.
प्लेसमेंट एजेंसी के मालिक ने पीड़िता का पता लगाने का प्रयास किया लेकिन उसकी सारी कोशिशें बेकार गई. इसके बाद उसने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. अदालत ने सीबीआई से इस मामले की जांच करने को कहा. जांच में यह बात सामने आई कि सुनील और झल्की नाबालिग लड़कियों की तस्करी में संलिप्त है. अदालत ने सभी दोषियों पर 39 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया जो पीड़िता को मुआवजे के तौर दिया जायेगा.