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पीपीपी मॉडल से चमकेंगे 400 रेलवे स्टेशन, रेल मंत्री ने दिखाई हरी झंडी

रेलवे बोर्ड ने ये यात्री सुविधाएं प्रदान करने के लिए रेलवे स्‍टेशनों पर उपलब्‍ध भूमि को पीपीपी मॉडल के जरिए देने की लिए एक नई योजना बनाई है.

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पीपीपी मॉडल से चमकेंगे 400 रेलवे स्टेशन
पीपीपी मॉडल से चमकेंगे 400 रेलवे स्टेशन

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अपनी तरह के पहले मेगा डिजिटल लॉन्च के जरिए रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने नई दिल्ली में रेलवे की एक महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की. इस योजना के तहत भारतीय रेलवे तीन चरणों में 400 प्रमुख रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास पर कार्य करेगी. समूचे भारतीय रेलवे पर एक साथ शुरू किए गए इस डिजिटल लॉन्च में देशभर के 23 रेलवे स्टेशनों से रेलवे के आला अफसरों ने हिस्सा लिया.

नई तरह से विकसित किए जाने वाले इन 400 रेलवे स्टेशनों पर रेलयात्रियों को विश्‍व स्‍तर के रेलवे स्‍टेशनों वाली सुविधाएं प्रदान की जाएंगी. ये स्‍टेशन पब्लिक-प्राइवेट भागीदारी (पी.पी.पी.) मॉडल के आधार पर विकसित किए जाएंगे. इनके विकास के लिए रेलवे पर वित्‍तीय रूप से कोई दबाव नहीं होगा. पुनर्विकसित किए जाने वाले ये रेलवे स्‍टेशन डिजिटल साइन बोर्ड, एस्‍केलेटर/एलीवेटर सेल्‍फ टिकटिंग काउंटर, एग्‍जीक्‍यूटिव लाउंज, लगेज स्‍क्रीन मशीन, पैदल रास्‍ते, रेलयात्रियों के लिए हॉल्डिंग एरिया, बड़ी और नई तरह की छत एवं फर्श, नि:शुल्‍क व भुगतान वाले वाई-फाई इत्‍यादि की सुविधाएं रेलयात्रियों को प्रदान करेंगे. इस कार्यक्रम से देश के 100 शहरों और एक करोड़ साठ लाख रेलयात्रियों को लाभ पहुंचेगा.

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रेलवे बोर्ड ने ये यात्री सुविधाएं प्रदान करने के लिए रेलवे स्‍टेशनों पर उपलब्‍ध भूमि को पीपीपी मॉडल के जरिए देने की लिए एक नई योजना बनाई है. कुल 1 लाख करोड़ रुपये की यह योजना देश की सबसे बड़ी पीपीपी योजना होगी. इस कार्यक्रम के अंतर्गत 2200 एकड़ की प्रमुख भूमि 45 वर्ष की अवधि के लिए निजी डेवलेपरों को दी जाएगी. रेलवे स्‍टेशनों के निकट इस खाली भूमि के वाणिज्यिक उपयोग द्वारा रेलवे से बिना कोई अतिरिक्‍त फंड लिए विश्‍व-स्‍तर के रेलवे स्‍टेशनों का विकास किया जाएगा. इस कार्यक्रम से भारतीय रेलवे को अतिरिक्‍त आय भी होगी जिसे अन्‍य आधुनिकीकरण परियोजनाओं में लगाया जाएगा. चुने गए रेलवे स्‍टेशनों को उच्‍च वैश्विक मानकों और डिजाइन के आधार पर उत्‍कृष्‍ट स्‍टेशनों के रूप में विकसित किया जाएगा.

सार्वजनिक सम्‍पत्ति के अधिकाधिक वाणिज्यिक उपयोग के लिए भारतीय रेलवे एक पारदर्शी और प्रतिस्‍पर्धी तरीके से परियोजनाओं की निविदा आमंत्रित करने की योजना बना रही है. विश्‍व में प्रयुक्‍त बेहतरीय उपायों में भारतीय रेलवे ने निविदा प्रक्रिया के लिए ‘मॉडिफाइड स्विस चैलेंज’ के नाम विख्‍यात तरीके को अपनाया है. इसके अंतर्गत क्षेत्रीय रेलें चरणबद्ध तरीके से 400 रेलवे स्‍टेशनों के विकास के लिए योजना और वित्‍त हेतु बाजार का रूख करेंगी. कड़े तकनीकी और वित्‍तीय मूल्‍यांकन पर आधारित बेहतर प्रस्‍तावों को परियोजना लागू करने के लिए चुना जाएगा. इसके बाद इसे और बेहतर बनाने के उद्देश्‍य से एक बार फिर से खुले बाजार में लाया जायेगा. यदि पहले से चुने गये प्रस्‍ताव से कोई ओर बेहतर कोई प्रस्‍ताव नहीं आता है तो पहले प्रस्‍ताव देने वाले डेवलेपर को ठेका दे दिया जाएगा. इस प्रक्रिया के दौरान यदि कोई अन्‍य प्रस्‍ताव उसके बराबर प्राप्‍त होता है तो डेवलेपर को उसे कैंसल करने का पहला अधिकार होगा. यदि बाजार से कोई और अधिक बेहतर प्रस्‍ताव आता है तो रेलवे उसे स्‍वीकार करने के लिए स्‍वतंत्र होगी. पारदर्शिता के लिहाज से प्रत्‍येक क्षेत्रीय रेलवे प्रस्‍ताव का मूल्‍यांकन करने के लिए विशेषज्ञों का पैनल तैयार करेगी. इस पद्धति को वर्ष 2015 में यूनियन केबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है.

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रेलवे स्टेशन के डेवलपमेंट के काम को पूरा करने के लिए बोस्‍टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) को परियोजना के रणनीतिक सलाहकार के रूप में नियुक्‍त किया है. सभी 400 रेलवे स्‍टेशनों का कमर्शियल वायबिलिटी आकलन पूरा कर लिया गया है. भारतीय रेलवे निविदा प्रक्रिया पर बाजार के रूख को आकर्षित करने और उनकी प्रतिक्रिया प्राप्‍त करने के लिए दिल्‍ली, मुम्‍बई, कोलकत्‍ता और अबूधाबी में रोड शो के जरिए निजी डेवलेपरों और निवेशकर्ताओं तक पहुंची है. रेलवे बोर्ड ने भी भूमि की उपलब्‍धता का सही-सही आकलन करने के लिए विभिन्‍न कार्याशालाओं द्वारा क्षेत्रीय रेलों से सम्‍पर्क किया है. भारतीय रेलवे ने स्‍टेशनों पर प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के आधार पर सभी 400 रेलवे स्‍टेशनों के लिए लागत आकलन भी तैयार किया है.

भारतीय रेलवे ने पहले फेज के लिए 23 रेलवे स्‍टेशनों को प्राथमिकता सूची में रखा है. इन स्‍टेशनों में बांद्रा टर्मिनस, बंगलौर छावनी, भोपाल, बोरीवली, चैन्‍नई सेन्‍ट्रल, फरीदाबाद, हावड़ा, इंदौर, जम्‍मूतवी, कामाख्‍या, कोजीकोड, लोकमान्‍य तिलक टर्मिनस, मुम्‍बई सेन्‍ट्रल (मेन), पुणे, रॉंची, सिकन्‍दराबाद, ठाणे, उदयपुर सिटी, विजयवाड़ा, विशाखापट्टनम और यशवंतपुर रेलवे स्‍टेशन शामिल हैं. रेलवे डेवलेपर्स को अतिक्रमण मुक्‍त 145 एकड भूमि इन स्‍टेशनों पर उपलब्‍ध करायेगी. भारतीय रेलवे ने डेवलेपर्स के साथ परस्‍पर बातचीत को बेहतर बनाने के लिए प्रत्‍येक जोन में नोडल अधिकारी नियुक्‍त किए हैं.

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पहले फेज में 13 हजार करोड़ रूपये खर्च होने का अनुमान है. ये रेलवे स्‍टेशन भारतीय रेलवे स्‍टेशन विकास निगम द्वारा अन्‍य माध्‍यमों से विकसित किए जाने वाले रेलवे स्‍टेशनों से अलग हैं. पीपीपी कार्यक्रम के अंतर्गत बंसल पाथवेज द्वारा विकसित किए जाने वाले हबीबगंज रेलवे स्‍टेशन के अलावा भारतीय रेलवे स्‍टेशन विकास निगम ने गुजरात राज्‍य सरकार की साझेदारी में गांधीनगर रेलवे स्‍टेशन के कार्य का शुभारम्‍भ किया है और बिजवासन रेलवे स्‍टेशन के लिए निविदाएं आमंत्रित की हैं.

भारतीय रेलवे बोली प्रक्रिया के इस पहले राउण्ड से अर्जित अनुभवों के आधार पर जुलाई, 2017 और दिसम्‍बर, 2017 के लिए तय हुए आगामी चरणों में इनका उपयोग करेगी. भारतीय रेलवे अपने ढॉंचे और कार्यक्रम को लागू करने की प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के लिए भी बीसीजी से परामर्श कर रही है. ये सिफारिशें रेलवे बोर्ड तथा क्षेत्रीय रेलों पर संगठन को तथा स्टेशन पुनर्विकास की इस प्रक्रिया को और मजबूत करने पर केन्द्रित रहेंगी.

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