यूं तो योग के सभी आसन शरीर के लिए लाभदायक हैं, लेकिन कुछ आसन ऐसे हैं जो तेजी से बदल रही लाइफस्टाइल में खुद को फिट रखने के लिए बहुत जरूरी हैं. इनके रोजाना अभ्यास से आप चुस्त और दुरुस्त रह सकते हैं.
सर्वांगासन- आजकल मोटापा बहुत तेजी से फैल रहा है. इससे बचने के लिए सर्वांगासन करना बहुत जरूरी है. दरी या कम्बल बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं. दोनों पैरों को धीरे-धीरे उठाकर 90 डिग्री तक लाएं. बाहों और कोहनियों की सहायता से शरीर के निचले भाग को इतना ऊपर ले जाएं कि वह कन्धों पर सीधा खड़ा हो जाए. पीठ को हाथों का सहारा दें. हाथों के सहारे से पीठ को दबाएं. कंठ से ठुड्डी लगाकर यथाशक्ति करें फिर धीरे-धीरे पूर्व अवस्था में पहले पीठ को जमीन से टिकाएं फिर पैरों को भी धीरे-धीरे सीधा करें. इसके नियमित अभ्यास से थायराइड सक्रिय एवं स्वस्थ होता है. इसके अलावा मोटापा, दुर्बलता, कद वृद्धि की कमी एवं थकान आदि विकार दूर होते हैं. यह आसन मोटापा कम करने के आयुर्वेदिक उपाय एड्रिनल, शुक्र ग्रंथि एवं डिम्ब ग्रंथियों को सबल बनाता है. (Pic credits:Insta/solmantilla77)
योगमुद्रासन- आज हर तरफ प्रदूषण है. ना हवा साफ है, ना पानी. प्रदूषित परिवेश आपके चेहरे की सुंदरता छीन रहा है. योगमुद्रासन एक ऐसा आसन है जिसके नियमित अभ्यास से आप खुद को सुंदर बनाए रख सकते हैं. इसे करने के लिए भूमि पर पैर सामने फैलाकर बैठ जाइए. बाएं पैर को उठाकर दांई जांघ पर इस प्रकार लगाइए की बांए पैर की एड़ी नाभि के नीचे आए. दांए पैर को उठाकर इस तरह लाइए की बांए पैर की एड़ी के साथ नाभि के नीचे मिल जाए. दोनों हाथ पीछे ले जाकर बाएं हाथ की कलाई को दाहिने हाथ से पकडें. फिर श्वास छोड़ते हुए सामने की ओर झुकें. अब नाक को जमीन से लगाने का प्रयास करें. हाथ बदलकर यह क्रिया करें. पुनः पैर बदलकर इस आसन की पुनरावृत्ति करें. सुंदर दिखने की चाह रखने वालों के लिए ये आसन किसी वरदान से कम नहीं है. इसके नियमित अभ्यास से चेहरा सुन्दर, स्वभाव विनम्र व मन एकाग्र होता है. (Pic credits:Insta/ftvnamasteyoga)
उदाराकर्षण- जंक फूड का चलन बढ़ा है, खाने की लगभग हर दूसरी चीज प्रदूषित हो गई है. हालात ऐसे हैं कि हर दूसरे व्यक्ति का पेट खराब रहने लगा है. जिससे कब्ज जैसी समस्या तेजी से बढ़ रही है इससे बचने के लिए हर व्यक्ति को उदाराकर्षण करना चाहिए. इसे करने के लिए सबसे पहले काग आसन में बैठ जाइए. हाथों को घुटनों पर रखते हुए पंजों के बल उकड़ू (कागासन) बैठ जाइए. पैरों में लगभग सवा फुट का अंतर होना चाहिए. श्वास अंदर भरते हुए दांए घुटने को बांए पैर के पंजे के पास टिकाइए तथा बांए घुटने को दांई तरफ झुकाइए. गर्दन को बांई ओर से पीछे की ओर घुमाइए व पीछे देखिए. कुछ देर रुकें फिर श्वास छोड़ते हुए बीच में आ जाइए. इसी प्रकार इसे दूसरी ओर से करें. यह शंखप्रक्षालन की एक क्रिया है. सभी प्रकार के उदर रोग तथा कब्ज मंदागिनी, गैस, अम्ल पित्त, खट्टी-खट्टी डकारों का आना एवं बवासीर आदि निश्चित रूप से दूर होते हैं. आंत, गुर्दे, अग्नाशय तथा तिल्ली सम्बन्धी सभी रोगों में लाभप्रद है. (Pic credits:Insta/fern.wong.1605)
स्वस्तिकासन- आजकल हर दूसरा शख्स चिंता और अवसाद से ग्रसित है. इससे बचने का तरीका है अपने मन पर काबू. मन पर विजय प्राप्त करने के लिए आपको ध्यान लगाना सीखना होगा. ध्यान लगाने के लिए स्वस्तिकासन सबसे उपयुक्त है. इसे करने के लिए बाएं पैर को घुटने से मोड़कर दाहिनी जांघ और पिंडली के बीच इस प्रकार स्थापित करें कि बाएं पैर का तल छुप जाए. इसके पश्चात दाहिने पैर के पंजे और तल को बाएं पैर के नीचे से जांघ और पिंडली के मध्य स्थापित करें. यह स्वस्तिकासन की मुद्रा है. अब ध्यान मुद्रा में बैठें और रीढ़ सीधी कर श्वास खींचकर यथाशक्ति रोकें. इस प्रक्रिया को पैर बदलकर भी करें. इसके नियमित अभ्यास से पैरों का दर्द और पसीना आना दूर होता है. नियमित अभ्यास से पैरों के गर्म या ठंडेपन की शिकायत भी दूर होती है. ध्यान लगाने के लिए यह आसन सबसे उत्तम है. (Pic credits:Insta/myshydragonfly_yoga)
गोमुखासन- शरीर के बाहरी अंगो से ज्यादा व्यक्ति को आंतरिक अंगों का ख्याल रखना चाहिए. गोमुखासन आंतरिक अंगों को दुरुस्त रखने का सबसे उत्तम आसन है. इसे करने के लिए दोनों पैर सामने फैलाकर बैठें. बांए पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितम्ब के पास रखें. दांए पैर को मोड़कर बांए पैर के ऊपर इस प्रकार रखें कि दोनों घुटने एक दूसरे के ऊपर हो जाएं. दाएं हाथ को ऊपर उठाकर पीठ की ओर मोड़िए और बांए हाथ को पीठ के पीछे नीचे से लाकर दांए हाथ को पकड़िए. ध्यान रहे कि इस अवस्था में आपकी गर्दन और कमर दोनो सीधी रहे. एक तरफ से लगभग एक मिनट तक करने के पश्चात दूसरी तरफ से भी ये आसन इसी प्रकार करें. इस आसन को करते समय ध्यान रखें कि जिस ओर का पैर ऊपर रखा जाए उसी ओर का (दाए/बाएं) हाथ ऊपर रखें. इस आसन के नियमित अभ्यास से अंडकोष वृद्धि एवं आंत्र वृद्धि में विशेष लाभ मिलता है. ये आसन धातुरोग, बहुमूत्र एवं स्त्री रोगों में भी लाभकारी है. यह यकृत, गुर्दे एवं वक्ष स्थल को बल देता है. संधिवात, गाठिया को भी दूर कर ये आसन मनुष्य को स्वस्थ रखने में मदद करता है. (Pic credits:Insta/sladja.yogaja,caitxclark)