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रोंगटे खड़े कर देने वाले मुंबई के वो 59 घंटे

केवल 10 आतंकवादियों ने 100 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश को लगभग 59 घंटों के लिए मानसिक रूप से बंधक बनाए रखा. आतंकी हमलों से संबंधित सभी वीडियो देखें

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केवल 10 आतंकवादियों ने 100 करोड़ से अधिक की आबादी वाले देश को लगभग 59 घंटों के लिए मानसिक रूप से बंधक बनाए रखा. आखिरकार एनएसजी कमांडो, सेना और स्‍थानीय पुलिस की मदद से आतंकियों का सफाया हुआ. आतंकियों के सफाए के बाद पूरे देश ने राहत की सांस ली. लेकिन उन 59 घंटों में आखिर क्‍या हुआ और आतंकवादी अपने खतरनाक मनसूबों को अंजाम देने में किस तरह जुटे रहे, पेश है उसका सिलसिलेवार ब्‍योरा:

आतंक का पहला घंटा, रात 9.40 बजे, दिन बुधवार, तारीख- 26 नवंबर
हादसे की रात मुंबई की रौनक अभी शुरू ही हुई थी कि कोलाबा का व्यस्त बाजार गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा. लियोपॉल्ड रेस्टोरेंट और पेट्रोल पंप के बाहर फायरिंग हुई थी.तब ऐसा लगा था कि ये दो गुटों की फायरिंग है. पुलिस अभी कोलाबा की ओर दौड़ी ही थी कि रात दस बजे सीएसटी स्टेशन और कैपिटल सिनेमा के बाहर भी एके-47 राइफलों से अंधाधुंध फायरिंग और हैंड ग्रेनेड से ब्लास्ट की खबरें आनी शुरू हो गईं. साफ था मामला कहीं ज्यादा गंभीर है. करीब पंद्रह मिनट बाद यानी रात में सवा दस बजे विले पार्ले में फ्लाई ओवर के नीचे खड़ी टैक्सी में धमाका हो गया. इस धमाके से अभी पुलिस संभली भी नहीं थी कि सीएसटी स्टेशन पर फायरिंग की खबर आ गई. आतंकवादी स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे लोगों पर गोलियां बरसा रहे थे. अब किसी को शक नहीं था कि मुंबई पर आतंकवादी हमला हो चुका है. इन दो बड़े हमलों के बीच आ चुकी थी दिल दहलाने वाली दो बड़ी खबर. भारी हथियार और गोलाबारूद से लैस आतंकवादी मुंबई के दो मशहूर होटलों ताज और ओबरॉय में घुस चुके थे. यानी आतंकवादियों ने एक साथ मुंबई के कई इलाकों को निशाना बनाया था. सबसे शानदार पांच सितारा होटल, सबसे बड़ा और भीड़भाड़ वाला रेलवे स्टेशन, बड़े अस्पतालों जैसे कामा हॉस्पिटल और जीटी हॉस्पिटल, भीड़भाड़ वाले मार्केट (कोलाबा मार्केट, विलेपार्ले इस्ट), शहर के बंदरगाह, सिनेमाघरों (मेट्रो सिनेमा, कैपिटल सिनेमा) और नरीमन हाउस आतंकियों के निशाने पर थे.

दूसरा घंटा, रात 10.45 बजे, दिन बुधवार, तारीख- 26 नवंबर
पुलिस हरकत में आ चुकी थी. ऐक्शन ताज और ओबेराय में सिमट गया. रात में पौने ग्यारह बजे तक ताज और ओबरॉय होटल और मेट्रो सिनेमा के पास पुलिस और आतंकवादियों के बीच क्रॉस फायरिंग शुरू हो चुकी थी. रात 11.42 बजे एटीएस ने ताज होटल के बाहर मोर्चा संभाल लिया.{mospagebreak} ठीक आधी रात को यानी 12 बजे ख़बर आई कि आतंकवादियों ने मेट्रो सिनेमा के पास पुलिस वैन पर कब्ज़ा कर लिया है और पुलिस आतंकवादियों का पीछा कर रही है. रात 12.15 बजे तक आतंकवादियों ने ओबरॉय होटल में लोगों को बंधक बना लिया था और हालात बेकाबू होता देख महाराष्ट्र सरकार ने मदद के लिए सेना को बुला लिया.

तीसरा घंटा, रात 12.40 बजे, दिन गुरुवार, तारीख- 27 नवंबर
आतंक तेजी से मुंबई में पांव पसार रहा था. रात 12 बजकर 41मिनट पर महाराष्ट्र विधानभवन के बाहर फायरिंग हुई. उसी वक्त पुलिस ने डॉकयार्ड में एक संदिग्ध बोट को पकड़ा. संकेत साफ था आतंकवादी समुद्री रास्ते से आए थे. रात 12.48 बजे आतंकवादियों ने पुराने ताज होटल के गुंबद में ब्लास्ट किया. ताज के एक हिस्से में आग लग गई. आतंक का यह तीसरा घंटा ज्यादा ही नाजुक हो रहा था क्योंकि ताज के गुंबद में धमाके के पांच मिनट बाद ही गिरगांव चौपाटी में पुलिस ने दो आतंकवादियों को मार गिराया. उधर, ताज और ओबेराय में आतंकवादी रह-रहकर ब्लास्ट कर रहे थे कामा हॉस्पीटल से भी फायरिंग की खबरें आ रही थीं. हालात को संभालने के लिए एटीएस को मौके पर बुलाया गया. आतंकवादियों से लोहा लेने एटीएस के जांबाज चीफ हेमंत करकरे, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट विजय सालस्कर, डीआईजी अशोक काम्टे मौके पर पहुंच चुके थे. उधर, आतंकवादी भी पुलिस की जिप्सी में मेट्रो सिनेमा से गोलियां बरसाते हुए कामा हॉस्पीटल में दहशत फैला रहे थे.

चौथा घंटा, रात 1.40 बजे, दिन गुरुवार, तारीख- 27 नवंबर
एटीएस के सामने पहली चुनौती थी कामा हॉस्पीटल को आतंकवादियों से छुड़ाना. यहां दो आतंकवादी मेट्रो सिनेमा हॉल के बाहर अंधाधुंध गोलियां बरसाने के बाद पुलिस की जिप्सी पर कब्जा करके पहुंचे थे. वो रास्ते भर गोलियां बरसाते रहे और कामा अस्पताल में भी फायरिंग कर रहे थे. मरीजों की जान खतरे में थी. लिहाजा एटीएस के मुखिया हेमंत करकरे, एनकाउंटर स्पेशलिस्‍ट विजय सालस्कर और डीआईजी अशोक काम्टे सबसे पहले ऑपरेशन के लिए यहीं पहुंचे. लेकिन वहां पहुंचने के बाद जैसे ही ये गाड़ी से नीचे उतरते हैं अचानक आतंकवादिय़ों ने उन पर हमला बोल दिया. इस हमले में तीनों जांबाज शहीद हो गए. अब तक शहर के 11 इलाके आतंकवादियों की चपेट में आ चुके थे. देश तीन जांबाजों को खो चुका था. रात काली और लंबी होती जा रही थी.

छठा घंटा, रात 3.45 बजे, दिन गुरुवार, तारीख 27 नवंबर
तीन जांबाजों की शहादत के बाद ऑपरेशन ताज, ओबेराय होटल और नरीमन हाउस के आसपास सिमट गया. पुलिस और आतंकवादियों के बीच रुक-रुक कर फायरिंग होती रही. इस बीच, फायर टेंडर्स की लिफ्ट की मदद से पुलिस कुछ लोगों को ताज होटल से बाहर निकलने में कामयाब हो गई. लेकिन ज़्यादातर लोग होटल में ही फंसे रहे.

सातवां घंटा, सुबह 5.20 बजे, दिन गुरुवार, तारीख- 27 नवंबर
बंधक संकट जारी था. आतंकवादियों ने ताज में धुधांधार फायरिंग शुरू कर दी थी. पूरा देश रातभर एक टक टीवी पर नजरें गड़ाए इस हमले को देख रहा था.{mospagebreak} उम्मीद की किरणें सुबह 5 बजकर 20 मिनट पर दिखीं, एनएसजी कमांडो मुंबई पहुंच चुके थे. मैरीन कमांडो, रैपिड ऐक्शन फोर्स के जवान और सेना की टुकड़ियों ने पूरा ऑपरेशन अपने हाथों में संभाल लिया. सुबह 6 बजे एनएसजी कमांडो ने नरीमन हाउस पर कब्ज़ा जमाए बैठे आतंकवादियों से लोहा लेना शुरू किया.

14वां घंटा, दोपहर 12 बजे, दिन गुरुवार, तारीख- 27 नवंबर
कमांडो करीब छह घंटे के आपरेशन के बाद नरीमन हाउस से एक महिला और एक बच्चे समेत तीन लोगों को बाहर निकालने में कामयाब रहे. ओबरॉय और ताज होटल से भी बंधकों को छुड़ाने का सिलसिला जारी था, लेकिन आतंकवादियों ने यहां ज़बर्दस्त मोर्चेबंदी कर रखी थी.

16वां घंटा, दोपहर 2 बजे, दिन गुरुवार, तारीख- 27 नवंबर
महाराष्ट्र सरकार ने बयान जारी किया कि ताज और ओबरॉय होटलों पर आतंकवादियों का कब्ज़ा है और अब तक 101 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें पांच आतंकवादी भी शामिल हैं.

18वां घंटा, शाम 4 बजे, दिन गुरुवार, तारीख- 27 नवंबर
ताज, ओबरॉय और नरीमन हाउस में बंधक संकट जारी था. एटीएस और मैरीन कमांडो बहादुरी से लोहा ले रहे थे. आतंकवादी दोंनो होटलों में रुक-रुक कर ग्रेनेड ब्लास्ट कर रहे थे. हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने राष्ट्र को संबोधित किया. पीएम ने कहा- मुंबई पर आतंकवादी हमले के पीछे विदेशी हाथ है. पूरा दिन बीत चुका था. ऑपरेशन बंधक जारी था. होटल ओबरॉय में अब तक 20 और ताज में 23 धमाके हो चुके थे. होटल ताज में कितने आतंकवादी थे और कितने बंधक थे, इसका अब तक कोई पता नहीं चल सका था. ओबरॉय होटल में अब भी 20-30 बंधक फंसे हुए थे. खबरों के मुताबिक छठे फ्लोर पर आतंकियों ने कब्जा जमा रखा था. नरीमन हाउस में भी आतंकवादियों ने दो इजराइली परिवारों को बंधक बनाया हुआ था. आतंकवादियो की गिरफ्त कमजोर पड़ती नहीं दिख रही थी. पूरी दुनिया सबसे बड़े आतंकवादी हमले को चिंता और भय से देख रही थी. मुंबई आतंकवाद से लड़ रही थी.

19वां घंटा, शाम 5 बजे, दिन गुरुवार, तारीख- 27 नवंबर
अब तक ताज में 23 और ओबरॉय में 20 धमाके हो चुके थे. सेना के जवान लगातार होटलों को आज़ाद कराने में लगे हुए थे. नरीमन हाउस में भी आतंकवादियों ने दो इजराइली परिवारों को बंधक बनाया हुआ था. ओबरॉय होटल में 20-30 बंधकों को होने की ख़बर आयी.{mospagebreak} उधर ताज में ये नहीं पता लग पा रहा था कि होटल मे कितने आतंकवादी हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, आतंकवादी हमलों में अब तक 110 लोग मारे जा चुके थे और 217 घायल थे. ताज में आग की लपटें उठ रही थीं.

20वां घंटा, शाम 6:00 बजे, तारीख 27 नवंबर 2008
खबर आयी कि ऑपरेशन ताज ख़त्म होने पर है. यह ख़बर महाराष्ट्र के डीजीपी ए एन रॉय के हवाले से आयी. लेकिन मेजर जनरल आर के हुडा ने ऑपरेशन ताज के ख़त्म होने से इनकार कर दिया. उधर ओबरॉय में आतंकवादी गोलियां बरसा रहे थे.

24वां घंटा, रात के 10 बजे, तारीख 27 नवंबर 2008
होटल ताज, होटल ओबरॉय और नसीमन हाउस तीनों जगह फायरिंग जारी थी. ओबरॉय में 21 और ताज में 24 धमाके हो चुके थे. मरने वालों की तादाद 125 हो चुकी थी. और नरीमन हाउस से कई बंधकों को आज़ाद करा लिया गया था. इसी घंटे में एटीएस खुलासा करती है कि गिरगांव चौपाटी पर आतंकवादी का सेटेलाइट फोन मिला है. सोनिया और मनमोहन मुंबई के घाव पर मरहम लगाने पहुंच चुके थे.

28वां घंटा, रात के 2 बजे, तारीख 28 नंवबर 2008
होटल ओबरॉय और नरीमन हाउस से कुछ अच्‍छी खबर आ रही थी. ओबरॉय होटल से 16 विदेशी बंधकों को छुड़ाया गया और नरीमन हाउस से भी कुछ और बंधकों को छुड़ाया जा चुका था.

32 वां घंटा सुबह के 6 बजे तारीख 28 नंवर 2008
ताज में काफी देर से गोलियों या फिर धमाकों की आवाज़ नहीं आयी. सबने एक बार फिर समझा ऑपरेशन शायद ख़त्म हो चुका है. लेकिन नरीमन हाउस में गोलियों की तड़तड़ाहट अब भी सुनाई दे रही थी.

33वां घंटा सुबह के 7 बजे तारीख 28 नंवर 2008
एनएसजी कमांडो हेलकॉप्टर से नरीमन हाउस की छत पर उतरे. एक-एक करके सबने पॉज़ीशन ले ली. दोनों तरफ से फायरिंग शुरु हो गई. अब तक 14 पुलिसवाले शहीद हो चुके थें.

35वां घंटा सुबह के 9 बजे तारीख 28 नंवर 2008
ताज में धमाका हुआ और गोलियों की आवाज़ भी आयी. उधर ओबरॉय में भी कमाडों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ जारी थी. नरीमन हाउस में कमांडो ने खिड़कियों पर फायरिंग की. {mospagebreak}आतंक की दास्तां चलती ही जा रही थी. आतंकवादी कहर पर कहर बरसाए जा रहे थे. एक बार तो ताज होटल के अंदर से आतंकवादी ने पत्रकारों पर भी फायरिंग कर दी.

37 वां घंटा सुबह के 11 बजे तारीख- 28 नवंबर, 2008
ताज होटल के अंदर से आतंकवादियों ने पत्रकारों की तरफ भी फायरिंग कर दी. कई पत्रकार बाल बाल बचे. पुलिस ने ताज से पत्रकारों को दूर कर दिया और बुलेट प्रूव पहने सिपाहियों ने अपनी गाड़ियों की आड़ में मोर्चा ले लिया. और फिर जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई में आतंकवादियों की तरफ फायर किए.

38 वां घंटा सुबह के 11 बजे तारीख- 28 नवंबर, 2008
उधर नरीमन हाउस में आंतकवादी लगातार फायरिंग कर रहे थें और ओबरॉय होटल से लगातार ख़बरे आ रही थीं कि वहां ऑपरेशन अपने आखिरी चरण में चल रहा है.

39वां घंटा दोपहर के एक बजे तारीख- 28 नवंबर, 2008
मरीन कमांडो ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस की. मरीन कमांडो ने कहा कि ताज की नई इमारत को आतंकवादियों से आजाद कराया जा चुका है. कमांडो का दबाव बढ़ने के बाद आतंकवादी ओल्ड ताज में शिफ्ट हो गए हैं. ताज की नई इमारत से आतंवादियों के पास से काफी मात्रा में हथियार और गोला बारूद मिले. जाहिर था ऑपरेशन आसान नहीं था. {mospagebreak}लेकिन इसी बीच एक और ख़बर आ गई जिससे पूरी मुंबई फिर डर गई. वीटी स्टेशन पर फायरिंग की ख़बर. लेकिन बाद में पता चला कि यह सब अफवाह है. ओबरॉय से अभी तक पचास लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका था जिसमें से 5 अमेरिकी दो ब्रिटेन के और तीन इटली के नागरिक थे.

40वां घंटा दोहपर के 2 बजे तारीख- 28 नवंबर, 2008
ओबरॉय से ख़बरें आने लगी कि सेना का ऑपरेशन ओबरॉय ख़त्म हो गया है. लेकिन नरीमन हाउस में एक कमांडो के घायल होने की ख़बर थी. यहां तक की मीडिया को भी नरीमन हाउस से दूर रहने को कहा गया.

41वां घंटा दोपहर के 3:30 बजे तारीख- 28 नवंबर, 2008
एनएसजी कमांडो ने ओबरॉय पर क़ब्ज़ा कर लिया. सारे आतंकवादियों को मार गिराया गया. ऑपरेशन ख़त्म होने के बाद होटल से 24 शव बरमाद हुए. लेकिन ओबेरॉय का ऑपरेशन पूरा होते होते 30 लोग आतंकवादी हमलों के शिकार हो चुके थे. एनएसजी अधिकारी के मुताबिक ओबेरॉय में दो आतंकवादी मारे गए और आतंकवादियों के पास से दो एके 47 राइफलें, 1 पिस्टल औऱ कुछ हैंड ग्रेनेड्स बरामद हुए.

42 वां घंटा शाम के 4 बजे तारीख- 28 नवंबर, 2008
42 घंटे बाद भी मुंबई आतंकवादियों की गिरफ्त में थी. ओबऱॉय के आज़ाद होने के बाद थोड़ा सुकून ज़रूर मिला था लेकिन नरीमन और ताज में लगातार गोलीबारी जारी थी. गृह मंत्रालय की तरफ से बयान जारी किया गया कि ताज में करीब आधा दर्जन आतंकवादी हो सकते हैं. नरीमन हाउस से बंधकों को तो बाहर निकाल लिया गया था. इसी बीच नरीमन हाउस से ही एक और धमाके की आवाज़ आयी. ताज से तो बाहर की तरफ भी दो ग्रेनेड दागे गए.

43 वां घंटा, तारीख 28 नवंबर, 2008 वक्त शाम 5 बजे
आतंक के 43 घंटे बीत चुके थे. होटल ओबरॉय आतंकवादियों के चंगुल से आजाद हो चुका था, लेकिन मुंबई की बेहद खूबसूरत इमारत ताज में लगी थी आग. आतंकवादियों का पावर हाउस भी कब्जे में नहीं था और कमांडो फूंक-फूंक कर कदम रख रहे थे.दिन ढलने लगा और दिन के साथ ही बुझ चुकी थी मायानगरी मुंबई की चमक. ताज अपनी बदकिस्मती पर आंसू बहा रहा था और इस खूबसूरत इमारत में लगी थी आग. {mospagebreak}आतंकवादी एक के बाद एक धमाके कर रहे थे और इन धमाकों से शाम 5 बजे अचानक होटल ताज जल उठा. इसके 22 मिनट बाद अचानक फायरिंग की तेज आवाजों से होटल दहल उठा. इधर सेना गोले बरसा रही थी और उधर आतंकवादी बंधकों का एक-एक कर कत्ल कर रहे थे. 6 बजते-बजते होटल से निकले दो बंधकों के शव. ओबरॉय में घुप्प अंधेरा छाया हुआ था. यहां सेना का ऑपरेशन खत्म हो चुका था लेकिन होटल की बिजली बंद पड़ी रही. यहां मौत का सन्नाटा छाया रहा.

44वां घंटा तारीख 28 नवंबर, 2008, वक्त शाम 6 बजे
ठीक इसी वक्त कोलाबा का नरीमन हाउस एक जोरदार धमाके से दहल उठा. ये पांच लोगों को अंदर बंधक बनाकर छुपे आतंकवादियों की आखिरी तड़प थी. आतंकवादियों ने जोरदार विस्फोट से पांच मंजिला इमारत का एक हिस्सा उड़ा दिया था.

45वां घंटा, शाम 7 बजे, दिन शुक्रवार, तारीख- 28 नवंबर
शाम के सात बजते ही कोलाबा का नरीमन हाउस गोलियों की तड़तड़ाहट से थर्रा उठा. एनएसजी के कमांडो ने इमारत की चौथी मंजिल पर मौजूद तीन आतंकवादियों को भून डाला और तीसरी मंजिल पर पड़े थे पांच बंधकों के शव. आतंकवादियों का पावरहाउस तबाह हो गया और लोगों ने कमांडो को कंधे पर उठा लिया. लेकिन ताज होटल में जंग जारी थी. यहां एक के बाद हो रहे थे एक धमाके. आतंकवादी अपनी मौत से पहले साथ लाए गोला-बारूद का पूरा इस्तेमाल कर लेना चाहते थे और 9 बजकर 33 मिनट तक लगातार 43 धमाके किए. सेना ने आतंकवादियों को मौत के घाट उतारने के लिए 22 और कमांडो भेजे. तभी ओबेरॉय होटल की बिजली जल उठी. 7 बज चुके थे और यहां सेना शुरू कर रही थी सर्च ऑपरेशन. यहां शुरू हो गई विस्फोटकों की खोज बीन.

52वां घंटा, रात 2 बजे, दिन शनिवार, तारीख- 29 नवंबर
नरीमन हाउस में हुए जोरदार धमाकों से मुंबई का सन्नाटा एक बार फिर टूटा. ये धमाका आतंकवादियों की मौत के बाद का था. 2 बजकर 31 मिनट पर सर्च ऑपरेशन में पता चला कि नरीमन में हथियारों का भारी जखीरा पड़ा हुआ है और आतंकवादियों ने बंधकों के शवों को हैंड ग्रेनेड से बांध रखा है. ये आतंकवादियों की मौत के बाद का तबाही का इंतजाम था. 2 बजकर 58 मिनट के बीच नरीमन का इलाका एक के बाद एक 14 धमाकों से थर्रा उठा. {mospagebreak}इसी बीच 2 बजकर 36 मिनट पर ताज में फिर तेज हुई फायरिंग. आतंकवादी अपनी आखिरी लड़ाई लड़ रहे थे और कमांडो सामने मौत बनकर खड़े थे. मुंबई दम साधे इस रात की सुबह का इंतजार करने लगी. सुबह-सुबह जब पूरी मुंबई अपने बिस्तर में दुबकी हुई थी. ताज अकेला आतंकवादियों से जंग लड़ रहा था. इस जंग में ताज लहूलुहान हो चुका था और तभी सेना ने इस जंग में झोंक दी नई ताकत और 59वें घंटे में ताज आजाद था.

55वां घंटा, सुबह 5 बजे, दिन शनिवार, तारीख- 29 नवंबर
मुंबई की सुबह हो गई, लेकिन ताज की सुबह अभी तक नहीं हुई थी. ताज अब भी सुलग रहा था. आलीशान इमारत से उठ रही थीं आग की लपटें और आसमान में छाया था धुएं का गुबार. लेकिन ताज अब आखिरी जंग लड़ रहा था. सुबह 5 बजकर 14 मिनट पर फिर शुरू हुए जोरदार धमाके और धमाकों की आवाज से साफ था कि इमारत की पहली मंजिल पर बने बॉलरूम में सेना और आतंकवादी आमने सामने हैं. इस भिड़ंत में सेना ने नई ताकत झोंक दी जब सेना की नई टुकड़ी ने आतंकवादियों पर हमला बोल दिया. इसी वक्त कोलाबा के नरीमन हाउस से निकाले जा रहे थे आतंक के बाकी बचे निशान. 5 बजकर 35 मिनट पर नरीमन हाउस से जैसे ही यहूदी परिवार का शव निकला लोग तबाही के मंजर को देखने के लिए उमड़ पड़े.

57वां घंटा, सुबह 7 बजे, दिन शनिवार, तारीख- 29 नवंबर
सबकी नजरें ताज पर टिकी हुई थीं और सेना के जवान यहां आखिरी जंग लड़ रहे थे. अंदर गोलाबारी की आवाज तेज होती गई और 8 बजते बजते सेना ने ताज फतह करने का ऐलान कर दिया.

59वां घंटा, सुबह 9 बजे, दिन शनिवार, तारीख- 29 नवंबर
होटल ताज, होटल ओबरॉय, नरीमन प्वाइंट तीनों जगहों से आतंकवादियों का सफाया हो गया और इसका ऐलान किया सैनिकों ने. ताज से बाहर फेंक दिए आतंकवादियों के शव. ढेर हो चुके थे दहशतगर्द और ताज आजाद हो चुका था.

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